शौर्य डोभाल की सफाई जवाब से ज़्यादा सवाल खड़े करती है

द वायर की रिपोर्ट पर इंडिया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया बेहद असंतोषजनक है. फाउंडेशन द्वारा न तो रिपोर्ट में उठाये गये और न ही निदेशकों को भेजे गए किसी सवाल का स्पष्ट जवाब दिया गया है.

गुजरात दंगे में माया कोडनानी की भूमिका और अमित शाह की गवाही के मायने

विशेष साक्षात्कार: ‘फिक्शन आॅफ फैक्ट फाइंडिंग: मोदी एंड गोधरा’ किताब केे लेखक मनोज मिट्टा से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.

क्या विदेश मंत्रालय ने संघ और भाजपा के प्रचार का ज़िम्मा ले लिया है?

दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी से कुछ दिन पहले विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड एक ई-बुक में भाजपा को देश का एकमात्र राजनीतिक विकल्प बताया गया है.

अमरनाथ बनाम जुनैद: ‘थ्री मिस्टेक्स’ आॅफ चेतन भगत

किसी एक त्रासदी के पीड़ितों को दूसरी त्रासदी के पीड़ितों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना हद दर्जे का ओछापन है, जहां पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बजाय राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगती हैं.

कुलभूषण जाधव और फ़ारूक़ अहमद डार: एक देश, दो नागरिक, दो सुलूक

बीते दिनों सेना के हाथों दो भारतीय अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का शिकार हुए हैं, लेकिन भारत सरकार के अधिकारी और पूरा देश इनमें से सिर्फ एक के अधिकारों के लिए लड़ता दिख रहा है.

अगर मोदी मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ दिलाना चाहते हैं तो बिलकिस को इंसाफ क्यों नहीं दिलाया?

बिलकिस बानो को इंसाफ मिल पाया क्योंकि शेष भारत और देश की अन्य संस्थाओं में अभी अराजकता की वह स्थिति नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में प्रश्रय दिया था. पर अब धीरे-धीरे यह अराजकता प्रादेशिक सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रीय होती जा रही है.

ये देखना होगा कि भाजपा यूपी में मिली बेलगाम ताकत का इस्तेमाल कैसे करती है?

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक समर्थन हासिल करने में मिली भाजपा की कामयाबी को अगर शासन के आदर्श के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है, तो आनेवाला समय देश के लिए अंधकारमय हो सकता है.

एक्सक्लूसिव: जागरण में भाजपा के पक्ष में छपे एग्ज़िट पोल के पीछे आरएसएस कार्यकर्ता का हाथ

यह तो साफ है कि दैनिक जागरण द्वारा उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण के ठीक बाद उस एग्ज़िट पोल का प्रकाशन भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए बनाई गयी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, पर इस ‘चुनावी पटकथा’ का लेखक कौन था, इस पर अब तक रहस्य बना हुआ है.

भाजपा के पक्ष में छपे जागरण के एक्ज़िट पोल के पीछे कौन है?

दैनिक जागरण में प्रकाशित एग्जिट पोल के लिए संपादक को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए, जिसके पीछे शायद उससे कहीं ज़्यादा ताकतवर लोगों का हाथ रहा हो.

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