आगामी 17 से 21 दिसंबर तक यति नरसिंहानंद की अध्यक्षता में विश्व धर्म संसद होने जा रही है. इसकी वेबसाइट कहती है कि इस्लाम की समाप्ति के लिए यह कार्यक्रम किया जा रहा. क्या हिंदू धर्म का अपने आप में अस्तित्व नहीं है कि ये लोग धर्म की विरोधात्मक परिभाषा दे रहे हैं?
हिंदू समाज या कहें संपूर्ण भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां सबको आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. भले सत्ताधारी इसे अमृतकाल कहें किंतु यह संक्रमण काल है. दुर्बुद्धि और नफ़रत का संक्रमण काल, जहां मर्यादाएं विच्छिन्न हो रहीं हैं.
22 जनवरी को होने वाले अयोध्या के राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले संत समाज का एक वर्ग क्यों रुष्ट हो गया है?
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कई विचारधाराओं के लोगों ने अपने-अपने तरीकों से मोर्चा लिया था. इनमें कई गुमनाम बने रहे, पर जिनके बारे में कुछ जानकारियां भीं थीं, उन पर भी बहुत कुछ नहीं लिखा जा सका. स्वामी अभयानंद भी उन्हीं में से एक थे.
आप अपने घर-परिवार में दीपावली मनाते समय मणिपुर में जारी हिंसा में मारे गए लोगों को याद करें कि आज उनके यहां यह त्योहार कैसे मन रहा होगा? क्या शेष भारत को इस उत्सव मनाते समय नहीं सोचना चाहिए कि उसके अपने ही बंधु-बांधव किस स्थिति में हैं. हमारा कर्तव्य और धर्म बनता है कि उनकी पीड़ा को महसूस करें.