कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र की 43 में से 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह इस क्षेत्र में केवल एक सीट जीत पाई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य में 1967 में पहला चुनाव लड़ने के बाद से यह जम्मू क्षेत्र में पार्टी का अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा.
एक आरटीआई आवेदन में बीते जुलाई महीने में गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर के एलजी की शक्तियों को बढ़ाने संबंधी जानकारी मांगी गई थी, जिसके जवाब में मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों और गोपनीयता का हवाला देते हुए दस्तावेज़ों की प्रति देने से इनकार कर दिया.
लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को 10% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, ओबीसी का कोटा भी 4% से बढ़ाकर 8% कर दिया है. विपक्ष ने इसे भाजपा के चुनावी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उठाया गया कदम बताया है.
लद्दाख के लिए राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जे के मांग के समर्थन में 21 दिन के अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक ने कहा कि भारत सरकार लद्दाख के लोगों की वास्तविक मांगों के प्रति 'बेहद लापरवाह और असंवेदनशील' रही है. अपनी मांगों के प्रति सरकार के इस रवैये के कारण लद्दाखवासी बहुत निराश, हताश और मायूस हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलकर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' करने को कहा गया था. लद्दाख में क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली बौद्ध संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने इसे सूबे के लोगों की भावनाओं का अपमान बताया है.
लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (करगिल) चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने 26 में से 22 सीटें जीतीं हैं. चुनावों के नतीजों को जम्मू कश्मीर पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 5 अगस्त 2019 के फैसलों और क्षेत्र में उसके बाद लागू की गईं नीतियों के प्रतिकार के रूप में भी देखा जा रहा है.
जम्मू कश्मीर के भाजपा नेता मुहम्मद मकबूल वार का एक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि बारामूला और सोपोर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार के आरोपों में भाजपा नेताओं को निशाना बना रहे थे. यह पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित है. उनके तबादले की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि उनके बदले उन्हीं अधिकारियों को तैनात किया जाए जो पार्टी नेताओं का सहयोग करें.
जम्मू कश्मीर के हीरानगर उप-जेल हिरासत केंद्र में महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 270 रोहिंग्या शरणार्थी दो साल से अधिक समय से बंद हैं. वे लगातार हिरासत में रखे जाने के ख़िलाफ़ अक्सर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. मई में भी शरणार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और दो मौकों पर खाना खाने से इनकार कर दिया था.
लद्दाख के करगिल ज़िले में भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. हालांकि, जिन निर्वाचित पार्षदों के क्षेत्र में उक्त परियोजनाएं शुरू की गईं, उनके नाम शिलान्यास पट्टिकाओं पर न देकर नज़दीकी निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा पार्षदों के नाम लिखे गए हैं.
लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के समर्थन में इंजीनियर एवं नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं. विरोध को ख़त्म करने की कोशिश में प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने तक लेह में किसी सार्वजनिक सभा में भाग नहीं लेंगे.
केंद्र सरकार लद्दाख में सरकारी नौकरियों को लेकर 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति बहाल कर रही है. गृह मंत्रालय ने 1 नवंबर 2022 को जारी एक अधिसूचना में उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर को गजेटेड या समूह 'ए' और समूह 'बी' के सार्वजनिक सेवा पदों पर भर्ती के नियम बनाने का अधिकार दिया है.
15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में हुए 'एनकाउंटर' में हुई चार लोगों की मौत के बाद इस पर कई सवाल उठे थे. सेना के श्रीनगर स्थित 15 कॉर्प्स के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में दावा किया गया था कि इस संयुक्त ऑपरेशन को जम्मू कश्मीर पुलिस के ख़ुफ़िया इनपुट के आधार पर अंजाम दिया गया था.
जम्मू विकास प्राधिकरण की अतिक्रमण हटाने की मुहिम ने क्षेत्र में विरोध भड़का दिया है. आरोप हैं कि प्रशासन मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए चुनिंदा कार्रवाई कर रहा है.
जम्मू कश्मीर के क़ानून विभाग ने जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की जम्मू इकाई के क़ानून अधिकारियों के तौर पर कुल छह वकीलों को नियुक्त किया है. इनमें से दो नियुक्तियां भाजपा से जुड़ी हुई हैं.
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के रंगरेथ इलाके में बीते 13 दिसंबर को हुई गोलीबारी में दो आतंकी मारे गए थे. इसके विरोध में महिलाओं ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही है और इन हत्याओं को लेकर जारी आधिकारिक बयानों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.