देश के शीर्ष उपभोक्ता निगरानी संगठन ‘केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण’ की मुख्य आयुक्त ने बताया कि ‘भ्रामक’ विज्ञापन जारी करने के लिए 20 कोचिंग संस्थानों में से चार पर जुर्माना लगाया गया है. चार संस्थानों में से दो ने जुर्माना जमा कर दिया है, जबकि अन्य दो ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विभिन्न मांगों को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान चीफ प्रॉक्टर राकेश सिंह पर एक दलित छात्र पर हमला करने का आरोप है. छात्रों का कहना है कि उन्होंने चीफ प्रॉक्टर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरकारी प्राइमरी स्कूल में कुछ छात्रों को ‘प्रार्थना क्षेत्र’ में नमाज़ अदा करते हुए देखा जा सकता है. इसके विरोध में एक हिंदूवादी संगठन ने प्रदर्शन किया था. मामले में दो शिक्षकों के ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.
गुजरात के अमरेली ज़िले के एक सरकारी स्कूल का मामला. प्रिंसिपल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गांव के सरपंच और शिक्षकों सहित पांच के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. एक वीडियो में प्रिंसिपल ने आरोप लगाया था कि सरपंच अक्सर उन्हें धमकी देते थे और स्कूल को मिलने वाला अनुदान उन्हें सौंपने के लिए कहते थे.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर स्थित एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज का मामला. कॉलेज के निदेशक ने कहा कि उन्होंने जांच के बाद प्रोफेसर ममता गौतम और श्वेता शर्मा को निलंबित कर दिया है. दोनों शिक्षकों का व्यवहार अनुचित था. उन्होंने कहा कि नारा लगाने वाले छात्र या उसका समर्थन करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के डीन डॉ. प्रसून दत्ता सिंह के ख़िलाफ़ एक महिला शिक्षक को उकसाकर दूसरी महिला शिक्षक पर हमला कराने के आरोप में जमशेदपुर में केस दर्ज किया गया है. इस घटनाक्रम को देखते हुए उनसे समारोह से दूर रहने को कहा गया है.
पश्चिम बंगाल स्थित आईआईटी खड़गपुर में तेलंगाना निवासी चौथे वर्ष के एक छात्र को अपने कमरे में मृत पाया गया. पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद कहा कि छात्र की मौत कथित तौर पर आत्महत्या से हुई है और इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है. छात्र के पिता ने बताया कि किसी प्रोजेक्ट के कारण छात्र उदास थे.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते 28 जुलाई को इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के निदेशक को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह एनएफएचएस-5 के तहत ‘जारी आंकड़ों से नाखुश’ था. उनका निलंबन औपचारिक रूप से पिछले सप्ताह रद्द कर दिया गया था. निदेशक का निलंबन तब तक जारी रहा, जब तक उन्होंने अपना इस्तीफा नहीं दे दिया.
कन्याकुमारी ज़िले के कुलसेकरम स्थित श्री मूकाम्बिका इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की 27 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर का शव उनके हॉस्टल के कमरे में मिला था. बताया गया है कि वहां मिले एक सुसाइड नोट में उनके विभाग के तीन वरिष्ठ डॉक्टरों पर यौन उत्पीड़न और मानसिक शोषण का आरोप लगाया गया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुछ छात्रों द्वारा बीते 8 अक्टूबर की रात को फिलीस्तीनियों के समर्थन में एक मार्च निकाला गया था. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने अपने मार्च के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी. एफआईआर में कहा गया है कि छात्रों ने एक ‘आतंकवादी समूह’ के ‘समर्थन’ में मार्च किया था.
अगस्त में शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम दो बार आयोजित की जाएंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त अवसर हो. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा.
गुजरात के अहमदाबाद शहर स्थित एक निजी स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम के तहत हिंदू छात्रों को कथित तौर पर नमाज़ पढ़ने के लिए कहे जाने के बाद हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था. स्कूल ने माफी मांगते हुए कहा है कि कार्यक्रम का उद्देश्य केवल छात्रों को विभिन्न धर्मों की प्रथाओं के बारे में जागरूक करना था.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के तहत अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) द्वारा 2022-23 में 246 कॉलेजों के मूल्यांकन में यह जानकारी सामने आई है. इसके अनुसार, देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त फैकल्टी सदस्य या सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर नहीं थे और ये सभी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा देशभर के स्कूलों में एक पाठ्यक्रम की मांग वाली याचिका को ख़ारिज करने की मांग करते हुए सीबीएसई ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल हलफनामे में कहा है कि समान बोर्ड या पाठ्यक्रम का आह्वान करते हुए स्थानीय संदर्भ, संस्कृति और भाषा को ध्यान में नहीं रखा गया है.
केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा लागू किए जा रहे ‘गुणवत्ता अंक’ (क्वालिटी स्कोर) का प्रावधान कहता है कि किसी अभ्यर्थी की गुणवत्ता इस बात से तय होगी कि उसने स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की पढ़ाई किस संस्थान से की है.