सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने गुजरात के भुज में एक कानूनी सेवा शिविर और जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा समावेशी नहीं है. कुछ गांवों और बड़े शहरों में जो शिक्षा प्रदान की जाती है, उनकी गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. हमें इन सब पर विचार करना चाहिए. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, सतत विकास मानकों के अनुसार शिक्षा के मामले में हम कमज़ोर रहेंगे.
बीते शनिवार को अयोध्या में डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी वाले कार्यक्रम को लेकर संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में छात्रों ने रोष जताते हुए ऑडिटोरियम के सामने प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना था कि राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए उनकी पढ़ाई नहीं रोकी जानी चाहिए.
बीते शुक्रवार को आयोजित होने वाले इस वेबिनार में 2019 के बाद कश्मीर में प्रतिरोध व असंतोष की नई चुनौतियों पर चर्चा होनी थी. जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने कहा कि यह उकसाने वाला विषय है और फैकल्टी सदस्यों ने आयोजन की योजना बनाने से पहले प्रशासन की अनुमति नहीं ली थी. आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस वेबिनार के पोस्टर जलाकर कार्रवाई की मांग की थी.
टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की जीत पर खुशी जताते हुए राजस्थान के उदयपुर में वॉट्सऐप पर संदेश पोस्ट करने वाली एक शिक्षक नफ़ीसा अटारी के अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा में इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे तीन कश्मीरी छात्रों और जम्मू कश्मीर के सांबा में भी दो और लोगों को पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है.
पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों के एक समूह 'शिक्षा आलोचना' द्वारा महामारी के दौरान पढ़ाई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि स्कूल परिसर के बाहर अपना काम जारी रखना कितना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अध्यापकों ने उसे किया. यह रिपोर्ट पढ़ी जानी चाहिए, अध्यापकों की वकालत के लिए नहीं, यह समझने के लिए कि प्राथमिक शिक्षा कितना जटिल मसला है और उसके कितने पक्ष हैं.
वीडियो: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद को लापता हुए पांच साल हो चुके हैं. नजीब कहां और किस हालत में हैं, इस सवाल का जवाब न तो जेएनयू प्रशासन के पास है और न ही किसी जांच एजेंसी के पास. बीते दिनों छात्र संगठनों ने इस मामले की फ़िर से जांच की मांग को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में मार्च निकाला था.
कर्नाटक के मंगलुरु शहर का मामला. विश्व हिंदू परिषद के एक नेता ने कहा कि हम पार्क के नामकरण के ख़िलाफ़ नहीं हैं, वो इसका नाम ऑस्कर फर्नांडीस या जॉर्ज फर्नांडीस या सेंट एलॉयसियस कॉलेज के संस्थापक के नाम पर रख सकते हैं, लेकिन स्टेन स्वामी के नाम पर नहीं. वैसे तो उनकी मौत हो चुकी है, लेकिन उन पर लगे आरोपों को ख़ारिज नहीं किया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले साल 18 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रहा था, जिसमें निजी और सरकारी स्कूलों को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग अथवा वंचित समूह श्रेणी के छात्रों को गैजेट और इंटरनेट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि डीयू के एक कॉलेज के 20 सीटों वाले पाठ्यक्रम में 26 छात्रों को केवल इसलिए प्रवेश देना पड़ा क्योंकि उन सभी के पास केरल बोर्ड से 100 प्रतिशत अंक थे. पिछले कुछ वर्षों से केरल बोर्ड 'मार्क्स जिहाद' लागू कर रहा है. इस बयान पर सांसदों सहित छात्र संगठनों भी आपत्ति दर्ज करवाई है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ख़्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय ने अहमद रज़ा ख़ान को नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में उनकी कथित संलिप्तता के लिए निष्कासित कर दिया था.
वर्तमान में जिस तरह से धार्मिक शिक्षा के लिए रास्ता सुगम किया जा रहा है, ऐसे में यह भी याद रखना चाहिए कि जैसे-जैसे यह शिक्षा आम होती जाएगी, वह वैज्ञानिक चिंतन के विकास को बाधित करेगी. नागरिकों को यह बताना ज़रूरी है कि धार्मिक चेतना और वैज्ञानिक चेतना समानांतर धाराएं हैं और आपस में नहीं मिलतीं.
उत्तराखंड स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान को गुजरात के सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से मान्यता मिली हुई है. फरवरी 2019 में कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि राज्य के बाहर के किसी विश्वविद्यालय के साथ गठजोड़ करना उचित नहीं है. फैकल्टी सदस्यों का कहना है कि इस रिपोर्ट के दो साल बाद संस्थान के निदेशक ने संचालक मंडल से चर्चा के बिना ही यह फ़ैसला ले लिया.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यह योजना पांच वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए है, जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपये ख़र्च आएगा. इसमें प्री-स्कूल से लेकर प्राथमिक विद्यालय के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा.
शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा- अति विशिष्टता’ की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी. अदालत ने कहा कि वह इन युवा डॉक्टरों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा.
इरफ़ान हबीब, आदित्य मुखर्जी और पंकज झा जैसे प्रमुख इतिहासकारों ने यूजीसी द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इसे इतिहास को 'विकृत करने' का प्रयास कहा है, साथ ही एक विषय के तौर पर इतिहास का महत्व कम करने का आरोप लगाया है.