मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा के दौरान धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं. सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.
मार्च महीने में मणिपुर हाईकोर्ट ने मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को सिफ़ारिश करने का निर्देश दिया था. यह निर्णय विवाद के कारणों में से एक है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी समुदाय को एससी/एसटी के रूप में नामित करने की शक्ति हाईकोर्ट के पास नहीं, राष्ट्रपति के पास होती है.
मणिपुर में जारी हिंसा के संबंध में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के विभिन्न महिला संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में चल रहे विभिन्न संघर्षों का मूल कारण सदियों का उपनिवेशवाद, हाशिए पर रखा जाना, उपेक्षा, भेदभाव, सुशासन की कमी, सैन्यीकरण, शस्त्रीकरण और इस क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के एक मार्ग के रूप में दुरुपयोग किया जाना है.
वीडियो: मणिपुर में मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में बीते 3 मई को निकली रैलियों के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें क़रीब 54 लोगों की मौत हो गई. कई घरों में आग लगा दी गई और सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए. इस घटनाक्रम के बारे में बता रही हैं द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती.
मणिपुर ट्राइबल फोरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि हिंसा के दौरान उनके द्वारा सूचीबद्ध किए गए प्रत्येक मौत के मामले में एफ़आईआर दर्ज कर मुक़दमा एसआईटी द्वारा चलाया जाए. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर्नाटक में चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के बजाय हिंसा प्रभावित मणिपुर के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने को कहा.
मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका नगा और कुकी समेत कई आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. इस विवाद के केंद्र में मणिपुर हाईकोर्ट का वह आदेश भी है, जिसमें मेईतेई को एसटी दर्जा देने संबंधी बात कही गई थी.
मणिपुर में आदिवासी समुदाय और मेईतेई समुदायों के बीच जारी हिंसा के बीच देश भर के ईसाई संगठनों ने कहा कि हम राज्य में ईसाइयों को निशाना बनाने और उनके उत्पीड़न में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं. हम सभी पक्षों से संयम बरतने और मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करने का आह्वान करते हैं.
मणिपुर में हुई हालिया हिंसा के बीच जो बात स्पष्ट नज़र आती है, वो यह है कि समुदायों के बीच संघर्षों के इतिहास से भरे इस राज्य को संभालने में अगर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ज़रा भी सावधानी बरती होती तो ताज़ा संघर्ष के कई कारणों से बचा जा सकता था.
मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनके संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे. बीते 3 मई को मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा निकाले गए मार्च के दौरान राज्य में हिंसा भड़क गई थी.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के एक वर्ग द्वारा खुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध करने के लिए एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा आयोजित एकजुटता मार्च के बाद चुराचांदपुर ज़िले समेत राज्य के कई हिस्सों में तनाव फैल गया. जानकारी के अनुसार, कम से कम 23 घरों को जला दिया गया और 19 लोग घायल हैं.
त्रिपुरा के ब्लॉगर बापन नंदी पर बीते 22 अप्रैल को स्थानीय भाजपा नेताओं ने हमला कर उनकी पिटाई की. नंदी ने कथित तौर पर ईद पर एक वीडियो और एक गाना भी बनाया था. वीडियो में लोगों से सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं होने और ईद के त्योहार को सद्भाव से मनाने की अपील की गई थी.
गौहाटी हाईकोर्ट ने एक ख़बर का स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें होजई के डोबोका शिविर की बदहाल व्यवस्था दर्ज करते हुए 18 महीने से 6 साल के 50 बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने के बारे में बताया गया था. मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी की शिविर के दौरे के बाद दी गई रिपोर्ट में बेहद अमानवीय स्थिति सामने आई है.
कार्बी आंगलोंग ज़िला स्थित भाजपा कार्यालय में नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि हमसे जुड़ने वाले सदस्य पार्टी को और मजबूत करने के लिए काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार जीत हासिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने एक दशक से अधिक लंबे अंतराल के बाद स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने के लिए दिए गए वचन का उल्लंघन करने के लिए नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, राज्य के मुख्य सचिव और आदिवासी नेताओं को नोटिस जारी किया है.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी. नियमानुसार उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए मोदी सरकार से मंज़ूरी मांगी गई थी.