असम के कछार ज़िले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. बीते एक दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि उनके एक लेख के कारण असम के बंगाली और असमिया भाषी लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.
67 वर्षीय विनोद दुआ इस साल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे. वे अपने कार्यक्रमों में तत्कालीन सरकारों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते थे और हाल के सालों में भाजपा सरकार की आलोचना के बाद भाजपा शासित राज्यों की पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बिगड़ रही वायु गुणवत्ता को लेकर स्कूलों को बंद करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को कहा कि स्कूलों को बंद करने का फैसला उनका नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का था. अदालत ने कहा कि जान-बूझकर या अनजाने में एक संदेश भेजा जा रहा है कि अदालत खलनायक है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रही है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो पत्रकारों पर हमले के संदर्भ में विशिष्ट आंकड़े नहीं रखता. गृह मंत्रालय ने मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से क़ानून का कड़ाई से क्रियान्वयन करने के लिए 2017 में राज्य सरकारों को एक परामर्श जारी किया गया था.
पत्रकारों ने मांग की कि संसद परिसर और प्रेस गैलरी में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर लगा ई गई सभी रोक को तत्काल हटाया जाना चाहिए और उन्हें पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. विपक्ष ने भी इन मांगों का समर्थन किया है. पिछले वर्ष कोविड-19 फैलने के बाद से संसद सत्र के दौरान सीमित संख्या में मीडियाकर्मियों को संसद परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने न्यूज़ नेशन के 'धर्मांतरण जिहाद' पर किए गए शो और ज़ी न्यूज़ पर कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के सदस्यों को 'चालाक और गैंग' कहने वाले प्रोग्राम को लेकर फटकार लगाई और इन कार्यक्रमों को चैनल की वेबसाइट, यूट्यूब व अन्य प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथॉरिटी (एनबीडीएसए) का कहना है कि समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ ने किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग के दौरान एथिक्स कोड का उल्लंघन किया है. संगठन का कहना है कि चैनल द्वारा प्रसारित तीन वीडियो में कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को खालिस्तानियों से जोड़ा गया और ग़लत रिपोर्ट की कि 26 जनवरी 2021 को लाल क़िले से भारतीय झंडे को हटा दिया था.
नेशनल ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी का यह बयान एक शख़्स की शिकायत पर टाइम्स नाउ के एंकर राहुल शिवशंकर और पद्मजा जोशी द्वारा सितंबर 2020 में पेश किए गए चैनल के प्राइम टाइम शो इंडिया अपफ्रंट के दो एपिसोड से जुड़ा है. अथॉरिटी ने चैनल से उक्त एपिसोड यूट्यूब से हटाने को कहा है.
द वायर की पत्रकार इस्मत आरा ने यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित युवती के सामूहिक बलात्कार के बाद की थी. इस रिपोर्ट में मेडिको लीगल एग्जामिनेशन रिपोर्ट के आधार पर पुलिस के युवती के साथ बलात्कार न होने के दावे पर सवाल उठाया गया था.
त्रिपुरा में हो रही हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के मामलों को कवर कर रहीं एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की इन दो महिला पत्रकारों के ख़िलाफ़ एक स्थानीय विहिप नेता की शिकायत पर राज्य के कुमारघाट थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई है. शिकायत में दावा किया गया है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलने के दौरान पत्रकारों ने हिंदू समुदाय और त्रिपुरा सरकार के ख़िलाफ़ भड़काऊ बातें कही थीं.
त्रिपुरा पुलिस ने विहिप सदस्य की शिकायत पर एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की दो पत्रकारों- समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. इससे पहले पुलिस ने हिंसा संबंधित ख़बरों को ऑनलाइन पोस्ट करने को लेकर दो वकीलों और कई पत्रकारों समेत 102 लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया है.
मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी के रहने वाले 22 वर्षीय पत्रकार बुद्धिनाथ झा नौ नवंबर से लापता थे. शुक्रवार शाम नज़दीक के एक स्टेट हाईवे पर उनका शव मिला. परिजनों का कहना है कि उनकी हत्या के पीछे मेडिकल माफिया का हाथ हो सकता है क्योंकि झा ने कई ग़ैर क़ानूनी क्लीनिक के ख़िलाफ़ शिकायत दायर की थी.
त्रिपुरा पुलिस ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ़, यहां तक कि इसका केवल उल्लेख करने के लिए कई पत्रकारों समेत 102 लोगों पर कड़े ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था.
इंडियन वूमंस प्रेस कोर ने त्रिपुरा में एक पत्रकार समेत कइयों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए इन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि वह पत्रकारों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध है और यह राज्य सरकार द्वारा हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने का एक प्रयास है.
एक स्वतंत्र गैर लाभकारी संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने एक सितंबर 2011 से 31 अगस्त 2021 के बीच दुनियाभर में मारे गए 278 पत्रकारों की सूची तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से 226 हत्याएं या तो बिना सुलझी रही या इनमें दोषी आज़ाद घूम रहे हैं. इस सूची में भारत 12वें स्थान पर है.