राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में देश भर में कम से कम छह पत्रकारों की हत्या हुई, 108 पर हमला हुआ और 13 मीडिया संस्थानों या अख़बारों को निशाना बनाया गया.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर समाचार चैनल ‘मीडियावन टीवी’ का लाइसेंस रद्द कर प्रसारण बंद कर दिया था. चैनल ने केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग के साथ केरल हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी.
पेगासस का मामला उजागर होने के लगभग छह महीने बाद हंगरी के खोजी पत्रकार सैबोल्च पैनयी सहित निशाना बनाए गए छह लोग सरकार के ख़िलाफ़ क़ानूनी क़दम उठा रहे हैं. यूरोपीय संघ के किसी देश में सरकार के ख़िलाफ़ पेगासस प्रभावितों द्वारा दायर यह पहला क़ानूनी मामला है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने शीर्ष अदालत द्वारा पेगासस मामले पर गठित समिति से द न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा भारत सरकार द्वारा पेगासस स्पायवेयर खरीदने के दावे पर सरकार से जवाब मांगने का आग्रह किया है. गिल्ड ने यह भी कहा कि समिति की कार्यवाही को बड़े पैमाने पर जनता के लिए खुला रखा जाए, ताकि गवाहों को बुलाए जाने और उनके जवाबों के संबंध में पूरी पारदर्शिता रहे.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि वे हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और सूबे की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं.
फैक्ट-चेक: सुदर्शन न्यूज़ ने 21 जनवरी को दो हिस्सों में एक वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि राजस्थान के जयपुर में एक शिव मंदिर को बंद कर वहां मज़ार बनाई गई है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में सामने आया कि यह मज़ार नई नहीं है बल्कि 30-40 साल से वहीं स्थित है.
15 जनवरी को एक नाटकीय घटनाक्रम में पत्रकार और अख़बार मालिकों के एक समूह ने सशस्त्र-बलों की मौजूदगी में कश्मीर प्रेस क्लब पहुंचकर इस पर क़ब्ज़ा कर लिया था. बाद में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पत्रकारों के कई समूहों के बीच असहमति का हवाला देते हुए इसे अपने नियंत्रण में ले लिया.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि सज्जाद हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं.
द वायर की एक ख़बर में दूरदर्शन के मुख्य उर्दू चैनल पर उर्दू न्यूज़ बुलेटिन की संख्या घटाने की बात उठाई गई थी. इसका ‘खंडन’ करते हुए प्रसार भारती द्वारा किए गए ट्वीट में मूल सवाल को नज़रअंदाज़ करते हुए इसके सभी नेटवर्क पर प्रसारित हो रहे उर्दू बुलेटिन की संख्या गिनवाई गई है.
‘भारत विरोधी दुष्प्रचार’ और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप में बीस यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट ब्लॉक किए जाने के कुछ दिनों बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार देश के ख़िलाफ़ ‘साजिश रचने’ वालों के विरुद्ध इस तरह की कार्रवाई जारी रखेगी.
पांच जनवरी की रात वेब पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के साथ जुड़े ट्रेनी पत्रकार और छात्र सज्जाद गुल को आपराधिक साज़िश के आरोप में बांदीपोरा ज़िले में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था. इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद पुलिस द्वारा उन्हें जन सुरक्षा क़ानून के तहत मामले दर्ज करते हुए जेल भेज दिया गया.
बीते 15 जनवरी को ज़ी तमिल पर प्रसारित हुए जूनियर सुपर स्टार्स सीजन-4 में बाल कलाकारों ने नोटबंदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों, उनके पहनावे और विनिवेश को लेकर व्यंग्य करता परफॉरमेंस दिया था. इससे नाराज़ भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने चैनल से शो को ऑफ एयर करते हुए माफ़ी मांगने को कहा था.
रविवार सुबह पत्रकारों के एक समूह ने सशस्त्र-बलों की मौजूदगी में कश्मीर प्रेस क्लब पहुंचकर यहां क़ब्ज़ा कर लिया था. यह नाटकीय परिवर्तन नए प्रबंधन निकाय के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू होने के बाद हुआ था. अब प्रशासन ने कहा कि पत्रकारों के कई समूहों के बीच असहमति के चलते उसने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है.
श्रीनगर स्थित कश्मीर प्रेस क्लब में रविवार सुबह पत्रकारों का एक समूह सशस्त्र-बलों की मौजूदगी में पहुंचा और यहां क़ब्ज़ा कर लिया. यह नाटकीय परिवर्तन नए प्रबंधन निकाय के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू होने के बाद हुआ. देश के कई पत्रकार संगठनों ने इसे अवैध और अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है.
कर्नाटक के कलबुर्गी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वार्षिक संक्रांति उत्सव का आयोजन किया था, जिसमें कवरेज के लिए आने वाले मीडियाकर्मियों को संघ की यूनिफॉर्म पहनकर आने के लिए कहा गया था. ऐसा न करने वाले पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया गया.