दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के संपादक द्वारा एफआईआर कॉपी मांगने की याचिका का विरोध किया

न्यूज़क्लिक के संस्थापक व संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और पोर्टल के एचआर विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन पुलिस ने उनके वकीलों को एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख़ किया है.

न्यूज़क्लिक ने आधिकारिक बयान में कहा- अब तक नहीं मिली एफआईआर की कॉपी, अपराध का विवरण

न्यूज़क्लिक ने इसके पत्रकारों और स्टाफ के यहां हुई छापेमारी, पूछताछ और गिरफ़्तारी के बाद जारी बयान में कहा है कि वे ऐसी सरकार, जो पत्रकारिता की आज़ादी का सम्मान नहीं करती और आलोचना को राजद्रोह या 'एंटी-नेशनल' दुष्प्रचार मानती है, की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं.

न्यूज़क्लिक छापा: पत्रकारों से दिल्ली दंगा, किसान आंदोलन और कोविड ​​संकट के बारे में पूछा गया

यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने बीते मंगलवार समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और प्रशासक अमित चक्रवर्ती को गिरफ़्तार कर लिया था. यह मामला न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें दावा किया गया है कि इस वेबसाइट को ‘भारत विरोधी’ माहौल बनाने के लिए चीन से धन मिला है.

स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने का प्रयास जारी है

एक पूरे मीडिया संगठन पर 'छापेमारी' करना और उचित प्रक्रिया के बिना पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छीन लेना स्वतंत्र प्रेस के लिए एक बुरा संकेत है, लेकिन लोकतंत्र के लिए उससे भी बदतर है.

दिल्ली पुलिस की छापेमारी के बाद न्यूज़क्लिक के संपादक समेत दो लोग यूएपीए के तहत गिरफ़्तार

समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरस्कायस्थ के अलावा एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. इससे पहले मंगलवार सुबह पुलिस ने बीते अगस्त माह में यूएपीए के तहत दर्ज मामले के संबंध में कुल 37 पुरुषों और 9 महिलाओं के ख़िलाफ़ छापेमारी और पूछताछ की. उनके मोबाइल-लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी ज़ब्त कर लिए गए हैं.

दिल्ली: पत्रकारों के यहां छापे-पूछताछ की आलोचना, मीडिया संगठनों ने कहा- धमकाने की कोशिश

न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों, कार्यकर्ताओं आदि के यहां छापेमारी, उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि को ज़ब्त करने और पूछताछ की कार्रवाई की आलोचना करते हुए पत्रकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और विपक्ष ने इसे मीडिया को डराने की कोशिश क़रार दिया है.

मणिपुर हिंसा पर रिपोर्ट को लेकर राज्य के पत्रकार संगठनों ने एडिटर्स गिल्ड को क़ानूनी नोटिस भेजा

ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने राज्य में जारी हिंसा पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को ‘पक्षपाती और प्रायोजित’ बताते हुए मांग की है कि गिल्ड अपने सोशल मीडिया हैंडल और वेबसाइट से रिपोर्ट, मणिपुर के पत्रकारों के ख़िलाफ़ 'अपमानजनक' बयान हटाए.

प्रेस काउंसिल ने महामारी के दौरान पत्रकारों की छंटनी के अध्ययन के लिए समिति गठित की

भारतीय प्रेस परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ ईमेल भेजने के लिए कहा है.

भारत-कनाडा तनाव के बीच केंद्र सरकार ने टीवी चैनलों से कहा- आतंकवादियों को मंच न दें

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनलों को एक एडवाइज़री जारी करते हुए कहा है कि वे ऐसे व्यक्तियों का इंटरव्यू लेने से परहेज़ करें, जिनके ख़िलाफ़ गंभीर अपराध या आतंकवाद के आरोप हैं. एडवाइज़री में मंत्रालय ने किसी व्यक्ति या संगठन का ज़िक्र नहीं किया है.

टीवी न्यूज़ चैनलों को बेहतर अनुशासन की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली एनबीडीए की याचिका सुन रही है, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र सख़्त होना चाहिए, साथ ही उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. 

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में खड़े एक निहत्थे पत्रकार की वेदना है

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ डॉक्यूमेंट्री घने होते अंधेरों की कथा सुनाती है कि कैसे इसके तिलस्म में देश का लोकतांत्रिक ढांचा ढहता जा रहा है और मीडिया ने तमाम बुनियादी मुद्दों और ज़रूरी सवालों की पत्रकारिता से मुंह फेर लिया है.

जब सांप्रदायिकता और पत्रकारिता में भेद मिट जाए, तब इसका विरोध कैसे करना चाहिए?

जब पत्रकारिता सांप्रदायिकता की ध्वजवाहक बन जाए तब उसका विरोध क्या राजनीतिक के अलावा कुछ और हो सकता है? और जनता के बीच ले जाए बग़ैर उस विरोध का कोई मतलब रह जाता है? इस सवाल का जवाब दिए बिना क्या यह समय बर्बाद करने जैसा नहीं है कि 'इंडिया' गठबंधन का तरीका सही है या नहीं.

मणिपुर हिंसा की रिपोर्ट पर एडिटर्स गिल्ड के ख़िलाफ़ केस अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़: कोर्ट

हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने पुलिस से कहा- फ़र्ज़ी ख़बरों पर स्वेच्छा से एफआईआर दर्ज करें

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य पुलिस को ग़लत सूचना, हेट स्पीच और मोरल पुलिसिंग में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ स्वैच्छिक एफआईआर दर्ज करके सक्रिय क़ानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए.

कश्मीर: आपराधिक साज़िश और जबरन वसूली के आरोप में पत्रकार को गिरफ़्तार किया गया

श्रीनगर में वरिष्ठ पत्रकार और टीवी डिबेटर माजिद हैदरी को एक स्थानीय निवासी की शिकायत के बाद अदालत के निर्देश पर गिरफ़्तार किया गया है. सूबे के राजनीतिक दलों- पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कार्रवाई की निंदा की है.

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