जन गण मन की बात की 142वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी का जश्न मनाते हुए कालाधन विरोधी दिवस मनाने और महाराष्ट्र में किसानों की कर्ज़ माफ़ी में हुए फर्ज़ीवाड़े पर चर्चा कर रहे हैं.
भारत घूमने आये स्विटज़रलैंड के युगल ने बताया कि जब वे जमीन पर घायल पड़े थे, तब वहां खड़े लोग अपने मोबाइल फोन से उनका वीडियो बना रहे थे.
लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के उलट निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न करवाए जाने को चुनौती देते हुए एनएसयूआई द्वारा याचिका दायर की गयी थी.
ताजमहल को कलंक बताने वालों को समझ नहीं आता कि इतिहास के 800 साल हटाने पर हिंदुस्तान में जो बचेगा, वह अखंड नहीं बल्कि खंडित भारत होगा.
गुजरात चुनाव राउंडअप: वाघेला का नया राजनीतिक मोर्चा दूसरे दल के चुनाव चिह्न पर लड़ेगा, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ गुजरात में शुरू हुआ चुनावी घमासान.
हम भी भारत की छठी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी लव जिहाद और केरल की हादिया मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और वरिष्ठ पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ चर्चा कर रही हैं.
समाजवाद में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में घरों से भगा दिए गए परिवारों के बच्चे कैंपों में ठंड से मर रहे थे वहीं रामराज में बच्चे अस्पताल में मर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 141वीं कड़ी में विनोद दुआ गुजरात विधानसभा चुनाव और सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश पर चर्चा कर रहे हैं.
कांग्रेस ने कहा, जेटली अर्थव्यवस्था की गलत तस्वीर पेश कर देश को गुमराह कर रहे, कालाधन विरोधी दिवस मनाने की बजाय देश को आहत करने के लिए माफ़ी मांगें.
विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए आधार को जोड़ने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी गई है.
ढांचागत परियोजनाओं में 6.92 लाख करोड़ ख़र्च होंगे और 2.11 लाख करोड़ रुपये एनपीए के बोझ से दबे सरकारी बैंकों का आधार मजबूत करने के लिए होंगे.
दोनों चरणों के मतदान के लिए कुल 50,128 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, इन पर राज्य के 4.33 करोड़ मतदाता मतदान कर सकेंगे.
जिस टीपू सुल्तान की पहचान बहादुर शासक के तौर पर होती रही है उसे अब एक धड़े द्वारा क्रूर, सांप्रदायिक और हिंदू विरोधी बताया जा रहा है.
गुजरात चुनाव राउंडअप: पाटीदार नेता हार्दिक ने कांग्रेस संगठन में बड़े प्रतिनिधित्व की मांग रखी. ओपिनियन पोल सर्वे ने भाजपा को जिताया.
यूपीए कार्यकाल में कश्मीर पर गठित वार्ताकार समिति के अध्यक्ष रहे दिलीप पडगांवकर इस बात से आहत थे कि कैसे सरकार ने उनकी सिफ़ारिशों को कूड़ेदान में डाल दिया.