पक्ष-विपक्ष में बंटे विमर्शों में जनतंत्र के पाले में कौन है?

जनतंत्र के नाम पर अब कोई भी पक्ष लिया जा सकता है. इसका एक कारण यह भी है कि अब किसी चीज़ के कोई मायने नहीं: न मुक्ति, न समानता, न धर्मनिरपेक्षता, न पूंजी, न मज़दूर: सारे शब्द और अवधारणाएं व्यर्थ हो चुके हैं. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 30वीं क़िस्त.

नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शामिल हुए. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनकी पार्टी इस समारोह का हिस्सा नहीं बनेगी.

बिहार: साढ़े तीन दशक बाद सीपीआई (माले) ने अपने गढ़ आरा में जीत हासिल की है

बिहार में 'इंडिया' गठबंधन के साथ मिलकर सीपीआई (माले) ने तीन सीट पर चुनाव लड़ा था- आरा, काराकाट और नालंदा. पार्टी इनमें से दो सीट जीतने में कामयाब रही.

महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता जरांगे का दावा- भाजपा को वोट न देने पर मराठों पर हमले

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने कहा है कि बीड ज़िले के कुछ गांवों में मराठा समुदाय के लोगों पर भारतीय जनता पार्टी की पंकजा मुंडे को वोट नहीं देने के लिए हमला किया जा रहा है. मुंडे हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव में बीड सीट से हार गईं थीं.

चंडीगढ़: लोकसभा सीट हारने के चलते भाजपा ने नगर निगम पर भी अपनी पकड़ खोई

कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी के चंडीगढ़ लोकसभा सीट जीतने के बाद 36 सदस्यों वाले चंडीगढ़ नगर निगम में वह पदेन सदस्य बन गए हैं. सदन में अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन बहुमत में आ गया है.

टीडीपी-जदयू अपने घोषणापत्र के मुताबिक भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करें: जमात

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी के नेता और एन. चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन. लोकेश नायडू ने कहा है कि परिसीमन और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर निर्णय एकतरफा न लिए जाएं. साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया है कि किसी भी समुदाय का आरक्षण नहीं छीना जाएगा.

कांग्रेस की बढ़त: मजबूत गठबंधन, सयाना तालमेल

लोकसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए हैं. पार्टी के प्रदर्शन में सर्वाधिक योगदान महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ने दिया है. इन 6 राज्यों में पार्टी को 2019 की अपेक्षा 43 सीटें अधिक मिली हैं.

कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया

कांग्रेस की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जिन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन ख़राब रहा है, वहां एक कमेटी बनाई जाएगी, जो इसके कारणों की जांच करेगी और कांग्रेस अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेगी.

दिल्ली: भाजपा को सभी सीटों पर जीत मिली, पर ग्रामीण और अल्पसंख्यक क्षेत्रों में घटे वोट

भाजपा को दिल्ली के ग्रामीण इलाकों, अनधिकृत कॉलोनियों और अल्पसंख्यकों की प्रधानता वाले निर्वाचन क्षेत्रों में काफी मतों का नुकसान हुआ है और पार्टी के वोट शेयर में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. मटियाला और पालम जैसे बड़ी ग्रामीण आबादी वाले विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को करीब एक लाख वोटों का नुकसान हुआ है.

मध्य प्रदेश: लोकसभा चुनाव में उतरे 369 उम्मीदवारों में से 311 की ज़मानत ज़ब्त

मध्य प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा सहित राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस के वोट शेयर में 2019 की तुलना में 2.1 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन इसके किसी भी उम्मीदवार की ज़मानत ज़ब्त नहीं हुई.

लोकसभा चुनाव 2024: पिछली बार के मुक़ाबले इस बार बढ़े थर्ड जेंडर मतदाता

चुनाव आयोग के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 में 25 प्रतिशत थर्ड जेंडर मतदाताओं ने वोटिंग की. पिछले आम चुनाव में यह आंकड़ा 14.58 प्रतिशत था.

भीषण गर्मी में चुनावकर्मियों की मौत: चुनाव आयोग ज़िम्मेदारी कब लेगा?

मई-जून में उत्तर भारत में पसरती भीषण गर्मी से चुनाव आयोग अनजान नहीं था, लेकिन उसने चुनाव को खींचकर इतना लंबा किया कि हज़ारों कार्मिकों की जान पर बन आई और उनके लिए यह चुनाव यातना शिविर में तब्दील हो गया.

जनतंत्र साझा हितों के निर्माण की परियोजना है, आरएसएस इस साझेपन के ख़िलाफ़ है

भारतीय जनतंत्र का बुनियादी सिद्धांत धर्मनिरपेक्षता है. लेकिन आरएसएस का लक्ष्य इसके ठीक ख़िलाफ़ हिंदू राष्ट्र की स्थापना है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 29वीं क़िस्त.

भाजपा के सवर्ण नेताओं पर मतदाता हुए कठोर, दलितों-आदिवासियों के बीच बढ़ी कांग्रेस की साख

हिंदी पट्टी में भाजपा ने 51 सीटें गंवा दी हैं, जिनमें से 22 सीटें सवर्ण सांसदों के पास और केवल सात सीटें ओबीसी सांसदों के पास थीं.

एनडीए के सहयोगी दल समर्थन के बदले क्या चाहते हैं?

2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए क्षेत्रीय दलों की ज़रूरत नहीं थी. लेकिन इस बार है. ऐसे में भाजपा नहीं चाहेगी कि गठबंधन के प्रमुख घटक दलों, ख़ासकर तेदेपा और जदयू में से कोई नाराज़ हो.

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