लोकसभा चुनाव: 140 से अधिक सीटों पर ईवीएम से डाले गए वोटों से अधिक मत गिने गए

कुछ मामलों में गिने गए ईवीएम के मतों की संख्या ईवीएम में डाले गए मतों की संख्या से कम है. हालांकि, इसके पीछे के कारणों को स्पष्ट करने के लिए आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी किया गया है, लेकिन कुछ मामलों में गिने गए मतों की संख्या में कमी संबंधित सीट पर जीत के अंतर का लगभग आधा है.

उच्च शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव का स्तर भी ऊंचा बना हुआ है

बीते दस सालों में पूरे ही माहौल में बराबरी और न्याय की आवाज़ बहुत पीछे चली गई है. बराबरी की दिशा बनाने वाले आरक्षण को ही संदिग्ध बनाने की हवा बह रही है. ऐसे में उच्च शिक्षा के संस्थानों में जातीय भेदभाव और उत्पीड़न को मिटाए बिना समानता हासिल नहीं हो सकती.

पक्ष-विपक्ष में बंटे विमर्शों में जनतंत्र के पाले में कौन है?

जनतंत्र के नाम पर अब कोई भी पक्ष लिया जा सकता है. इसका एक कारण यह भी है कि अब किसी चीज़ के कोई मायने नहीं: न मुक्ति, न समानता, न धर्मनिरपेक्षता, न पूंजी, न मज़दूर: सारे शब्द और अवधारणाएं व्यर्थ हो चुके हैं. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 30वीं क़िस्त.

कांग्रेस की बढ़त: मजबूत गठबंधन, सयाना तालमेल

लोकसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए हैं. पार्टी के प्रदर्शन में सर्वाधिक योगदान महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ने दिया है. इन 6 राज्यों में पार्टी को 2019 की अपेक्षा 43 सीटें अधिक मिली हैं.

क्या हैं विफलता के कर्तव्य?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विफल होने के बाद क्या करें या न करें यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि आपका क्या-कुछ दांव पर लगा है.

भीषण गर्मी में चुनावकर्मियों की मौत: चुनाव आयोग ज़िम्मेदारी कब लेगा?

मई-जून में उत्तर भारत में पसरती भीषण गर्मी से चुनाव आयोग अनजान नहीं था, लेकिन उसने चुनाव को खींचकर इतना लंबा किया कि हज़ारों कार्मिकों की जान पर बन आई और उनके लिए यह चुनाव यातना शिविर में तब्दील हो गया.

यूपी में बहुत पहले तय हो चुकी थी भाजपा की हार

राजधानियों में बैठे विश्लेषकों और वाचाल एंकरों के लिए गांव की भाषा व राजनीतिक मुहावरे पहले भी अबूझ रहे हैं और इस बार भी अबूझ रहे. वे न इन आवाजों को सुन पाए, न समझ पाए.

उत्तर प्रदेश: ‘हिंदुत्व की प्रयोगशाला’ में आई परिवर्तन की बयार से भाजपा कमज़ोर हुई

एक्जिट पोल में एक तात्कालिकता होती है, मसलन आपने किसे वोट दिया? क्यों वोट दिया? आप किस बिरादरी के हैं? यह सवाल धीमी गति से हो रहे परिवर्तनों को नहीं देख पाते हैं. उत्तर प्रदेश में हो रहे परिवर्तन ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘400 पार’ के नारे की हवा निकाल दी.

अयोध्या का सूर्य-तिलक: उत्तर प्रदेश का वाराणसी सांसद के नाम संदेश

चूंकि मोदी ने यह चुनाव सिर्फ़ अपने नाम पर लड़ा था, सिर्फ़ अपने लिए वोट मांगे थे, भाजपा के घोषणापत्र का नाम भी ‘मोदी की गारंटी’ था- यह हार भी सिर्फ़ मोदी की है. उनके पास अगली सरकार के मुखिया होने का कोई अधिकार नहीं बचा है.

भारतीय जनतंत्र में क्रांति का ख़याल

नक्सलवादी अपनी हिंसा को यह कहकर उचित ठहराते हैं कि उनके पास ही वैज्ञानिक विचार और इतिहास की चाभी है. उनका विचार ही पहला और अंतिम विचार है और उसे जो चुनौती देगा, उसे जीवित रहने का अधिकार नहीं. यह संसदीय जनतंत्र के विचार के ठीक उलट है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 28वीं क़िस्त.

धन के वर्चस्व ने बहुत चतुराई से साधारण जन को लोकतंत्र में निरुपाय कर दिया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: भारत के साधारण वर्ग के नागरिक संवैधानिक अधिकार और पात्रता रखते हुए चुनाव नहीं लड़ सकते. हमने जो व्यवस्था बना ली है वह भारत की साधारणता को लोकतंत्र में कोई निर्णायक भूमिका निभाने से रोक रही है.

राजस्थान हाईकोर्ट ने गर्मी से हो रही मौतों पर संज्ञान लिया, कहा- राष्ट्रीय आपदा घोषित करे केंद्र सरकार

अदालत ने सरकारों को फटकार लगाते हुए मौसमी मार झेल रहे लोगों की समस्या और जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है.

हिमाचल चुनाव: इस पहाड़ पर राजनीति इतिहास के भीतर निवास करती है

इस राज्य को भगवा बनाना चाहती भाजपा नहीं जानती कि देवदार के जंगल स्थानीय देवियों से अपनी प्राण-ऊर्जा हासिल करते हैं और बर्फ़ीले पर्वतों पर इस पृथ्वी के कुछ सबसे विलक्षण और प्राचीन बौद्ध विहार ठंडी धूप में चमकते हैं.

महाराष्ट्र: देश के सबसे अमीर राज्य में भर्ती घोटालों की मार झेलते युवा जान देने की कगार पर हैं

महाराष्ट्र देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य है, लेकिन वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी करते इसके हज़ारों युवा नागरिक पेपर लीक या किसी अन्य घोटाले के चलते परीक्षा रद्द होने से निराश होकर आत्महत्या जैसे घातक क़दम उठा रहे हैं.

‘यह गांधी कौन था?’ ‘वही, जिसे गोडसे ने मारा था’

गांधी को लिखे पत्र में हरिशंकर परसाई कहते हैं, 'गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था. बताया जाएगा कि उस वीर ने गांधी को मार डाला था. तो आप गोडसे के बहाने याद किए जाएंगे. अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था. एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको.'