कोरोना संकट के दौरान गहराती सांप्रदायिकता का नया उदाहरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह ज़िले नालंदा के बिहार शरीफ में देखने को मिला है, जहां मुस्लिम रहवासियों का आरोप है कि हिंदू दुकानदारों द्वारा उन्हें सामान नहीं दिया जा रहा और उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है.
मामला ओडिशा के कालाहांडी जिले का है. लोकशक्ति अभियान संस्था के अध्यक्ष प्रफुल सामांत्रा ने बताया कि ये आदिवासी 2017 से वहां रह रहे थे. लेकिन प्रशासन कह रहा है कि वे लॉकडाउन के बाद वहां आए थे.
देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के आगरा के मेयर नवीन जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि हॉट स्पाट एरिया में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में कई-कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही. न ही मरीजों के लिए भोजन पानी का उचित प्रबंध हो पा रहा है.
मामला राजस्थान के सवाई माधोपुर का है. लापरवाही बरतने के मामले में एक हेड कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.
इंटरनेट पर ट्रोल्स की तादाद इतनी हो चुकी है कि लगता नहीं कि वे जल्दी यहां से जाने वाले हैं. लेकिन अगर उनकी चरित्रगत ग्रंथियां, उनके तरीके और तकनीकें समझ लें, तो अपनी मानसिक शांति और संतुलन खोए बिना उनके उत्पात और हमलों का सामना कर पाएंगे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह आकलन ऐसे समय में सामने आया है, जब अहमदाबाद नगर निगम ने कहा कि यदि मामलों के दुगुनी होने की मौजूदा दर जारी रहती है, तो शहर में कोविड-19 के मरीजों की संख्या मई के अंत तक बढ़ कर आठ लाख हो सकती है.
वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर ख़ालिद समेत जामिया के छात्रों पर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया है. इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से चर्चा कर रही है द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
वीडियो: भारत में कोरोनावायरस संक्रमण को सांप्रदायिक रंग दिए जाने के बाद खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा सोशल मीडिया पर इसी तरह के पोस्ट लिखने पर इन देशों के पत्रकारों, वकीलों और शाही परिवार के लोगों ने विरोध जताया है. इस बारे में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से गल्फ़ न्यूज़ के संपादक बॉबी नक़वी की बातचीत.
तक़रीबन 101 नौकरशाहों ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया है कि वो राज्य में किसी भी समुदाय के सामाजिक बहिष्कार को रोकने का निर्देश दें. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी ज़रूरतमंदों को बराबर चिकित्सा और अस्पताल की सुविधाएं, राशन और वित्तीय सहायता मिले.
वीडियो: महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन लोगों की चोरी की अफवाह में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. पुलिस का कहना है कि गांव वालों ने तीनों पीड़ितों को चोर समझ लिया था. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा की.
बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल तीन याचिकाओं में कहा गया कि पड़ताल में सामने आया है कि कई गैर-कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने या उनका इलाज करने से इनकार किया जा रहा है क्योंकि चिकित्साकर्मियों को अपने क्लिनिकों या अस्पतालों में कोरोना वायरस फैलने का डर है.
19 अप्रैल को गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर मजदूरों के आवागमन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. हालांकि इनके व्यावहारिक रूप से लागू होने पर कई सवाल हैं.
गुजरात के मेहसाणा ज़िले में कोरोना वायरस के लक्षणों को जांचने गई एक आशा कार्यकर्ता से बदसलूकी की गई, वहीं हरियाणा के फरीदाबाद में एनआरसी के लिए डेटा इकट्ठा करने का आरोप लगाते हुए आशा कार्यकर्ताओं की एक टीम के साथ मारपीट की गई.