भारत की सांस्कृतिक कल्पना में श्मशान सदैव शामिल रहे हैं

श्मशान पुरातत्व के जानकारों और मानवशास्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह रहे हैं. इसके अध्ययन के द्वारा वे अतीत के मनुष्यों की संस्कृति, धर्म और जीवन के अन्य पक्षों के बारे में अपनी समझ बनाते हैं.

वेद प्रकाश शर्मा ने न साहित्य के सामंतों के लिए लिखा, न उनके प्रमाण पत्र की ज़रूरत समझी

लाखों प्रतियों में बिकने वाले वेद प्रकाश ही तो हमारे रोल मॉडल हैं जो यकीं दिलाते हैं कि हिंदी में लिख के भी पेट और पॉकेट दोनों भरा जा सकता है.

‘वर्दी वाला ग़ुंडा’ के लेखक वेद प्रकाश शर्मा नहीं रहे

वर्दी वाला गुंडा, दुल्हन मांगे दहेज, दहेज में रिवॉल्वर जैसे उपन्यासों के रचयिता वेद प्रकाश शर्मा ने शुक्रवार देर रात दुनिया को अलविदा कह दिया.

‘सलमा आपा ने उतना लिखा नहीं जितना वे लिख सकती थीं’

सलमा सिद्दीक़ी को अधिकतर लोग कृश्न चंदर की हमसफ़र के रूप में ही जानते हैं, पर उनकी एक अलग पहचान भी थी..एक लेखक की. सलमा 13 फरवरी को इस दुनिया से रुख़सत हो गईं. सलमा आपा, सब उन्हें इसी नाम से जानते थे…अक्सर ही लोग उनकी ख़ूबसूरती के ही क़ायल रहते. उनकी बड़ी, गहरी आंखें मानो उर्दू की ‘ग़िलाफ़ी आंखें’ जैसी मिसाल उन्हीं के लिए गढ़ी गई हो…उनके चेहरे की तारीफ़, जिसमें उनकी मां बेग़म राशिद अहमद सिद्दीक़ी का अक़्स

शादियों में फिज़ूलखर्ची रोकने के लिए लोकसभा में निजी विधेयक

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन लोकसभा में एक निजी विधेयक पेश करने वाली हैं, जो शादियों में फिज़ूलखर्च रोकने के अलावा गरीब परिवार की लड़कियों की शादी में योगदान से संबंधित है.

लड़कियो! इश्क़ करो…

लड़कियों फ़र्क़ देखिए. आपके घरवाले आपके लिए जब देख-सुन के अपनी बिरादरी और धर्म का लड़का चुनते हैं तब आपके साथ कैसा सुलूक होता है.

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: जैसे बीमार को बेवजह क़रार आ जाए…

फ़ैज़ ऐसे शायर हैं जो सीमाओं का अतिक्रमण करके न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के काव्य-प्रेमियों को जोड़ते हैं. वे प्रेम, इंसानियत, संघर्ष, पीड़ा और क्रांति को एक सूत्र में पिरोने वाले अनूठे शायर हैं.

दर्शक कृपया ध्यान दें! एनएसडी के कर्ता-धर्ता पर्दे के पीछे दूसरे ही नाटक में लगे हैं

जिस भारंगम को अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह के रूप में पेश किया जाता है , उसका इस्तेमाल नाट्य विद्यालय के पदाधिकारी निजी फायदे के लिए कर रहे हैं.

एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने से रुके शिक्षा और मानवाधिकार के काम

विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत एनजीओ को मिलने वाले विदेशी चंदे पर लगने के बाद सामाजिक मुद्दों और मानवाधिकार से जुड़े काम प्रभावित हुए हैं.

भोजपुरी फिल्म फेस्टिवल : अपने ही जाल में उलझा भोजपुरी सिनेमा

बदलते दौर के भौतिक चमक-दमक को तो भोजपुरी सिनेमा खूब दिखाता है, पर सामाजिक -सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ता से नहीं भिड़ता. वह एक बड़े विभ्रम का शिकार है.

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