विश्वविद्यालय परिसर को ऐसा होना ही चाहिए जहां भय न हो, आत्मविश्वास हो, ज्ञान की मुक्ति हो और जहां विवेक की धारा कभी सूखने न पाए. तमाम सीमाओं के बावजूद भारतीय विश्वविद्यालय कुछ हद तक ऐसा माहौल बनाने में सफल हुए थे. पर पिछले पांच-सात वर्षों से कभी सुधार, तो कभी ‘देशभक्ति’ के नाम पर ‘विश्वविद्यालय के विचार’ का हनन लगातार जारी है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी शैक्षणिक परिषद ने मंगलवार को 12 घंटे चली बैठक में सदस्यों की असहमति को ख़ारिज करते हुए 2022-23 सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति और चार साल के स्नातक के क्रियान्वयन को मंज़ूरी दे दी. शैक्षणिक परिषद के सदस्य ने बताया कि दो दलित लेखकों बामा और सुकीरथरिणी को भी सिलेबस से हटाया गया है.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी परिसर का मामला. छात्रा का आरोप है कि वे 16 अगस्त की शाम को अपने एक दोस्त के साथ यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस के चौराहे के पास खाना खा रही थी कि तभी नशे में धुत्त तीन लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ और मारपीट की. छात्रा का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी.
सरकार को सवाल पूछने, अधिकारों की बात करने और उसके लिए संघर्ष करने वाले हर इंसान से डर लगता है. इसलिए वो मौक़ा देखते ही हमें फ़र्ज़ी आरोपों में फंसाकर जेलों में डाल देती है.
पुस्तक समीक्षा: जेएनयू स्टोरीज़- द फर्स्ट फिफ्टी ईयर्स इस संस्थान से ताल्लुक़ रखने वाले कई लेखकों के लघु निबंधों का संग्रह है, जिसे पढ़ने पर साफ पता चलेगा कि विश्वविद्यालय भी सांस लेते जीवंत संस्थान हैं और उनका भी गला घोंटा जा सकता है.
वीडियो: पूर्वांचल का एकमात्र बनारस स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय एक साल पहले नौवीं कक्षा से ऊपर के लिए बंद कर दिया गया था. अब छात्र क्रमबद्ध विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से यह मुद्दा उठा रहे हैं. इसे सरकार और ट्रस्ट मिलकर चलाते हैं. पिछले साल ही ट्रस्ट के सदस्यों ने इसे बंद करने की बात कही थी. मात्र 250 छात्र वाले इस संस्थान को चलाने में जो ट्रस्टी सहयोग करते हैं, उनका कहना है सरकार अब इतनी मदद
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस संदर्भ में अल्पसंख्यक स्कूलों में अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की है. इसके अलावा उन्होंने इन स्कूलों को शिक्षा के अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान के दायरे में लाने की मांग की है.
विश्वविद्यालय में यह तर्क नहीं चल सकता कि चूंकि पैसा सरकार (जो असल में जनता का होता है) देती है, इसलिए विश्वविद्यालयों को सरकार की तरफ़दारी करनी ही होगी. बेहतर समाज के निर्माण के लिए ज़रूरी है कि विश्वविद्यालय की रोज़मर्रा के कामकाज में कम से कम सरकारी दख़ल हो.
वीडियो: सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के कंपार्टमेंट, इंप्रूवमेंट, पत्राचार और प्राइवेट छात्रों की परीक्षा 25 अगस्त से कराने का फैसला लिया है. कोविड-19 के कारण रेगुलर छात्रों की ऑफ़लाइन परीक्षा इस वर्ष नहीं करवाई गई थी, मगर इन छात्रों की परीक्षाएं ली जा रही हैं, जिस कारण छात्र और उनके अभिभावक दोनों बेहद परेशान हैं.
पांच जनवरी 2020 की रात कुछ नकाबपोशों ने जेएनयू कैंपस में घुसकर विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की थी. उपद्रवियों ने छात्रों और कुछ शिक्षकों को बर्बर तरीके से पीटा भी था. इस हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष समेत 30 से अधिक लोग घायल हुए थे.
उत्तर प्रदेश के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा का शव बीते 31 जुलाई को एक स्टोर रूम में फांसी से लटका मिला था. पहले पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन मामले को आत्महत्या बता रहे थे. छात्रा के पिता की लिखित शिकायत पर एक अगस्त की देर शाम विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष और उनके सहायकों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया कि देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय विज्ञान संस्थान में अनुसूचित जाति श्रेणी में 2,608, अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 1,344 पद और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में 4,821 पद रिक्त हैं.
मध्य प्रदेश के सागर शहर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का मामला. विश्वविद्यालय का मानव विज्ञान विभाग, अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के साथ 30 और 31 जुलाई को एक वेबिनार की मेज़बानी करने वाला था. एबीवीपी ने वेबिनार में वक्ता के तौर पर पूर्व वैज्ञानिक गा़ैहर रज़ा और प्रोफे़सर अपूर्वानंद को शामिल किए जाने का विरोध किया था, जिसके बाद पुलिस ने विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा था.
उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद का मामला. बीते सात मार्च को एसआरके महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर शहरयार अली ने हुमा नक़वी नामक महिला द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की गई केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की तस्वीर पर कथित रूप से अभद्र टिप्पणी की थी, जिसके बाद भाजपा नेता की तहरीर पर उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.
यूपी बोर्ड ने नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन की कृतियों को कक्षा दसवीं और बारहवीं के पाठ्यक्रमों से हटा दिया है. टैगोर की लघु कहानी ‘द होम कमिंग’ और राधाकृष्णन का निबंध ‘द वीमेन एजुकेशन’ को पहले भी कक्षा बारहवीं के पाठ्यक्रम से हटाया गया था.