इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत और म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था ख़त्म करने की घोषणा की थी. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था जारी रहे. उन्होंने गृह मंत्री से मिज़ोरम की ओर बाड़ नहीं लगाने का आग्रह किया है.
कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित किए जाने के बाद भीड़ ने चुराचांदपुर के एसपी और ज़िला कलेक्टर कार्यालय पर हमला किया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई. कुकी-जो नागरिक समाज समूह आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि चुराचांदपुर एसपी ज़िले में हुई हिंसा की इस घटना के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने एक अप्रैल 2006 या उसके बाद नियुक्त राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली बहाल करने की भी घोषणा की. इसके अलावा राज्य सरकार के साथ चार साल की सेवा पूरी कर चुके अस्थायी कर्मचारियों और विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया है.
असम विधानसभा में यह प्रतिक्रिया ‘द वायर’ और ‘द क्रॉसकरंट’ वेबसाइट द्वारा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की ग़ैर-सरकारी यात्रा के दौरान चार्टर्ड उड़ानों पर राज्य सरकार द्वारा करोड़ों ख़र्च करने पर एक संयुक्त रिपोर्ट प्रकाशित करने के तीन दिन बाद आई है. विधायक अखिल गोगोई के प्रश्नों के जवाब में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को ख़त्म कर दिया जाए. असम के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है.
2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा राष्ट्रीय नेतृत्व के क़रीबी माने जाते हैं और अक्सर देश के विभिन्न राज्यों में पार्टी का प्रचार करते दिखते हैं. अब एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि पार्टी के काम से संबंधित ऐसे दौरों का ख़र्चा राज्य सरकार वहन करती रही है.
कोकबोरोक को 1979 में त्रिपुरा में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी. हाल ही में त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के प्रमुख ने कथित तौर पर दावा किया था कि बोर्ड के छात्रों को कोकबोरोक परीक्षा देते समय केवल बंगाली लिपि का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. टिपरा मोथा पार्टी ने कहा है कि वह क़ानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
बीते 30 जनवरी को इंफाल पश्चिम ज़िले में यह घटना कुकी-ज़ो प्रभुत्व वाले कांगपोकपी ज़िले की सीमा के क़रीब हुई. इस महीने मणिपुर में गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं में सीमावर्ती शहर मोरेह में तैनात दो मेईतेई पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 9 लोग मारे गए हैं. राज्य में मई 2023 में जातीय हिंसा भड़की थी.
मणिपुर में बीते 27 जनवरी को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि दोनों मृतक अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा उन पर गोलीबारी की गई.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के निर्णय पर गहन चर्चा और लोगों से परामर्श की ज़रूरत है. जरूरत पड़ने पर हमें एक फॉर्मूला बनाना होगा कि जनता की समस्या कैसे सुलझाई जाए और घुसपैठ कैसे रोकी जाए. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा भी बाड़ लगाने के फैसले को ‘अस्वीकार्य’ बता चुके हैं.
नगालैंड के वोखा ज़िले में एक ‘रैट-होल’ कोयला खदान में हुआ हादसा. पुलिस के अनुसार, खदान में किसी भी सुरक्षा उपाय का पालन नहीं किया जा रहा था. ज़िले के रुचानियां गांव में हुई इस घटना के वक्त अग्निशमन यंत्र भी उपलब्ध नहीं थे. मृतक असम के गोलाघाट ज़िले के विभिन्न गांवों से थे, जो नगालैंड सीमा पर स्थित हैं.
असम में बीते 23 जनवरी को राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में राज्य पुलिस द्वारा अवरोध खड़ा किए जाने के बाद टकराव की स्थिति बन गई थी. यात्रा को लेकर एक एफ़आईआर दर्ज की गई है. इसे लेकर राहुल ने कहा है कि चाहे जितने केस दर्ज हो जाएं, वे डरेंगे नहीं. उन्होंने असम सीएम को देश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री क़रार दिया.
यह घटना 24 जनवरी सुबह दक्षिण मणिपुर में भारत-म्यांमार सीमा पर हुई. असम राइफल्स ने एक बयान में कहा है कि घटना में घायल सभी छह जवान ग़ैर-मणिपुरी हैं. उन्हें इलाज के लिए सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. बयान में कहा गया गोलीबारी की इस घटना का राज्य की जातीय हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सर्वदलीय बैठक में अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए बताया कि मई में हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अनुच्छेद 355 प्रभावी है. यह अनुच्छेद केंद्र को राज्य सरकार को बर्ख़ास्त किए बिना राज्य के क़ानून-व्यवस्था को संभालने का अधिकार देता है.
मणिपुर में हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद राज्य के कुल 60 में से 32 विधायकों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्य में असम राइफल्स के बदले कोई और बल तैनात किया जाए, साथ ही कुकी उग्रवादी समूहों के साथ जारी समझौते (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) को विस्तार न दिया जाए.