मृणाल पांडे में बाकी जो भी दुर्गुण हों, वे असभ्य और अशालीन होने के लिए नहीं जानी जातीं. वे किसी रूप में वामपंथी भी नहीं हैं. उन पर बीजेपी विरोधी होने का भी वैसा इल्ज़ाम नहीं रहा है, जैसा दूसरों पर है.
मीडिया बोल की 15वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, पहलू ख़ान और बुलेट ट्रेन के मीडिया कवरेज को लेकर वरिष्ठ पत्रकार सबा नक़वी और एनआर मोहंती से चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया मालिकों के संगठन इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने कहा, नोटबंदी के कारण विज्ञापनों में कमी आने से अख़बार प्रभावित हुए हैं.
ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विद्या सुब्रमण्यम बता रही हैं कि कैसे साल 2013 में आरएसएस पर उनके एक लेख की वजह से उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी.
रिपब्लिक टीवी की संवाददाता रेयान स्कूल में मारे गए प्रद्युम्न के पिता से एक लाइव इंटरव्यू के दौरान अशोभनीय व्यवहार करती नज़र आ रही हैं.
मीडिया बोल की उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल और पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ गौरी लंकेश की हत्या पर सियासत और उसके मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.
भाजपा सांसद ने लिखा, ‘मुंबई ताज हमले में शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन बेंगलुरु से हैं. उन्हें राज्य सरकार द्वारा 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई!’
राम रहीम पर लगे आरोप डेढ़ दशक पुराने हैं, लेकिन मीडिया तब जागा, जब दो बहादुर बेटियों और एक जांबाज़ पत्रकार ने जान की बाज़ी लगाकर न्याय की लड़ाई जीत ली.
जन गण मन की बात की 115वीं कड़ी में विनोद दुआ पत्रकारों की हत्या व उन पर हो रहे हमले और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब पर चर्चा कर रहे हैं.
वे हत्या के पक्ष में दलीलें देने लगे. वे हत्यारों को बधाइयां देने लगे. उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को सिर्फ जायज़ नहीं ठहराया. वे हत्या के बाद ठंडी पड़ चुकी उस लाश को गालियां देने लगे. जैसे वे उस पर और गोलियां चलाना चाहते हों.
मैंने आॅनलाइन जगत के एक हिस्से को गुंडा और हत्यारा ज़रूर कहा है. प्रधानमंत्री के लिए कभी ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.
गौरी की हत्या एक चेतावनी है. हत्यारों को पता है कि वे सुरक्षित हैं. वे बेखौफ़ होकर अपना काम करते रहेंगे.
हमने बचपन से सुना था कि किसी की मौत के बारे में बुरा मत बोलो क्योंकि मरा आदमी अपनी सफाई नहीं दे सकता. पर ये लोग तो जैसे मरने का इंतज़ार कर रहे थे. ये कहां पले-बढ़े हैं, ये कहां से आते हैं?
अरवल ज़िले का मामला. पुलिस ने बाइक सवार दो हमलावरों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है.