इंटरनेट आर्काइव ने अपनी वेबसाइट से नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री हटाई

इंटरनेट आर्काइव दुनिया भर के यूजर्स द्वारा वेबपेज संग्रह और मीडिया अपलोड का एक भंडार है. बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड के संबंध में इसकी वेबसाइट पर यह लिखा दिख रहा है कि 'यह सामग्री अब उपलब्ध नहीं' है. 

2002 दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक करने की सरकार की सेंसरशिप अस्वीकार्य: एन. राम

द हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम ने मोदी सरकार द्वारा बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया पर ब्लॉक करने को लेकर कहा कि उन्होंने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था इतनी नाज़ुक है कि उसे एक ऐसी डॉक्यूमेंट्री से ख़तरा है जो देश में प्रसारित नहीं हुई है और यूट्यूब/ट्विटर तक पहुंच रखने वाली बहुत कम आबादी द्वारा देखी गई है.

प्रौद्योगिकी कंपनियों को डिजिटल समाचार प्रकाशकों से राजस्व साझा करना चाहिए: प्रसारण सचिव

सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है कि कोविड के बाद न केवल डिजिटल समाचार उद्योग, बल्कि प्रिंट समाचार उद्योग की वित्तीय स्थिति समस्याग्रस्त रही हैं. समाचार उद्योग के विकास के लिए यह अहम है कि मूल समाचार सामग्री तैयार करने वाले इन सभी प्रकाशकों के डिजिटल समाचार मंचों को बड़े प्रौद्योगिकी मंचों से राजस्व का एक उचित हिस्सा मिले.

फ़र्ज़ी ख़बरें बताने का ज़िम्मा पीआईबी को देना बंदर के हाथ में उस्तरा देने के समान है

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी’ बताई गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की पत्रकार तपस्या ने बताया कि इस फैक्ट-चेक इकाई ने उनकी एक रिपोर्ट को बिना किसी दस्तावेज़ी प्रमाण के सिर्फ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक ट्वीट के आधार पर 'फ़र्ज़ी' क़रार दे दिया था.

आईटी नियमों में संशोधनों को हटाया जाए, मीडिया परिषद की स्थापना की जाए: प्रेस एसोसिएशन

प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि प्रेस काउंसिल पहले से ही फ़र्ज़ी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फेक न्यूज़ को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है: डिजीपब

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा 'फ़र्ज़ी' क़रार दी गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. डिजिटल मीडिया संगठनों के संघ डिजीपब ने कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने का संस्थागत तंत्र बन सकता है.

ब्रिटेन सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे: बीबीसी

बीबीसी ने ब्रिटेन में 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था.

आईटी नियमों में संशोधन के ख़िलाफ़ एडिटर्स गिल्ड, कहा- अकेले सरकार फेक न्यूज़ तय नहीं कर सकती

आईटी नियम के मसौदा संशोधन में कहा गया है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा. एडिटर्स गिल्ड ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह प्रेस की सेंसरशिप के समान है.

पत्रकारों को ख़बरों के स्रोत का ख़ुलासा न करने के लिए कोई वैधानिक छूट प्राप्त नहीं है: कोर्ट

मामला वर्ष 2009 का है. सीबीआई द्वारा समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से जुड़े आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट पेश करने से पहले ही संबंधित दस्तावेज़ मीडिया में लीक हो गए थे. सीबीआई ने मीडिया घरानों ने उन दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराने वाले स्रोत का खुलासा करने को कहा था, जिससे इनकार कर दिया गया था.

केंद्र का प्रस्ताव, पीआईबी फैक्ट-चेक द्वारा ‘फ़र्ज़ी’ बताई गई ख़बर को सभी मंचों से हटाना होगा

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के एक संशोधन मसौदे में कहा है कि प्रेस सूचना ब्यूरो की फैक्ट-चेकिंग इकाई या सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एजेंसी द्वारा झूठी चिह्नित की गई सामग्री को सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटाना होगा.

राज्यसभा में ख़बरों का हवाला देते हुए सवाल पूछने की अनुमति नहीं होगी: रिपोर्ट

संसद के एक हालिया बुलेटिन के मुताबिक़, राज्यसभा में सांसदों को केवल ख़बरों का हवाला देते हुए सवाल पूछने और सरकार से कार्रवाई करने संबंधी मांग करने की अनुमति नहीं होगी.

दिल्ली पत्रकार संघ ने पत्रकारों और पत्रकारिता पर ‘बढ़ती पुलिसिंग’ की निंदा की

दिल्ली पत्रकार संघ ने कई गिरफ़्तार और जेल में बंद पत्रकारों को लेकर चिंता व्यक्त की है. ह्यूमन राइट्स वॉच की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने अधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया पर अपनी कार्रवाई तेज़ और व्यापक कर दी है.

यदि एंकर नफ़रती भाषण का हिस्सा बनता है, तो उसे प्रसारण से क्यों नहीं हटाया जा सकता: अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण एक ‘बड़ा ख़तरा’ हैं. भारत में ‘स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस’ की ज़रूरत है. अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी से संचालित होता है. चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं.

दिल्ली पुलिस अधिकारी की हत्या का आरोपी मुस्लिम नहीं है, जैसा कुछ समाचार संस्थानों ने बताया था

फैक्ट चेक: दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर शंभू दयाल बीती चार जनवरी को एक महिला का फोन छीनकर भाग रहे आरोपी को पकड़ने गए थे, इस दौरान उन पर आरोपी ने चाकू से हमला कर दिया था. कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद सुदर्शन न्यूज जैसे कुछ मीडिया संस्थानों ने आरोपी को मुस्लिम बताते हुए घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी.

कर्नाटक पुलिस पर आरोप, ख़बर का स्रोत उजागर करने के लिए न्यूज़ पोर्टल को कर रही प्रताड़ित

कन्नड़ न्यूज़ पोर्टल ‘द फाइल’ के संस्थापक संपादक जी. महंतेश को बेंगलुरु पुलिस ने नोटिस जारी कर पोर्टल पर प्रकाशित एक ख़बर के लिए हासिल किए गए दस्तावेज़ों के स्रोत का नाम और विवरण बताने को कहा है. इस क़दम की अन्य न्यूज़ पोर्टल ने यह कहते हुए निंदा की है कि अपने स्रोत का ख़ुलासा करना पत्रकारिता की नैतिकता के ख़िलाफ़ है.

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