प्रौद्योगिकी कंपनियों को डिजिटल समाचार प्रकाशकों से राजस्व साझा करना चाहिए: प्रसारण सचिव

सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है कि कोविड के बाद न केवल डिजिटल समाचार उद्योग, बल्कि प्रिंट समाचार उद्योग की वित्तीय स्थिति समस्याग्रस्त रही हैं. समाचार उद्योग के विकास के लिए यह अहम है कि मूल समाचार सामग्री तैयार करने वाले इन सभी प्रकाशकों के डिजिटल समाचार मंचों को बड़े प्रौद्योगिकी मंचों से राजस्व का एक उचित हिस्सा मिले.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/White Oak Cremation)

सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है कि कोविड के बाद न केवल डिजिटल समाचार उद्योग, बल्कि प्रिंट समाचार उद्योग की वित्तीय स्थिति समस्याग्रस्त रही हैं. समाचार उद्योग के विकास के लिए यह अहम है कि मूल समाचार सामग्री तैयार करने वाले इन सभी प्रकाशकों के डिजिटल समाचार मंचों को बड़े प्रौद्योगिकी मंचों से राजस्व का एक उचित हिस्सा मिले.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/White Oak Cremation)

नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने इस बात की पुरजोर तरीके से वकालत की है कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां मौलिक सामग्री बनाने वाले डिजिटल समाचार प्रकाशकों के साथ अपने राजस्व का एक हिस्सा साझा करें.

डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) के सम्मेलन को शुक्रवार (21 जनवरी) को भेजे संदेश में चंद्रा ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और यूरोपीय संघ ने पहले ही कानूनों के माध्यम से यह कदम उठा लिया है और समाचार सामग्री तैयार करने वालों और प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच राजस्व का उचित विभाजन सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रतिस्पर्धा आयोगों को मजबूत किया है.

उन्होंने डीएनपीए सम्मेलन को भेजे गए अपने संदेश में कहा, ‘समाचार उद्योग के विकास के लिए यह अहम है कि मूल समाचार सामग्री तैयार करने वाले इन सभी प्रकाशकों के डिजिटल समाचार मंचों को बड़े प्रौद्योगिकी मंचों से राजस्व का एक उचित हिस्सा मिले, क्योंकि वे दूसरों द्वारा बनाई गई सामग्री को प्रस्तुत (एग्रीग्रेटर) करने का काम करती हैं.’

बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों को संदर्भित किया जाता है और एग्रीगेटर गूगल न्यूज और याहू न्यूज जैसे प्लेटफॉर्म हैं, जो मूल प्रकाशकों की सामग्री को प्रदर्शित करते हैं. ऐसे में गाहे बगाहे यह बात उठती है कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को समाचार संगठनों को भुगतान करना चाहिए, जब उनकी सामग्री उनके मंच पर साझा की जाती है.

हालांकि विदेशों में समाचार प्रकाशकों के पास इस तरह के प्रस्ताव का समर्थन है, लेकिन फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म ने इस तरह के कदमों का विरोध किया है. उनका तर्क है कि वे केवल एक मध्यस्थ हैं और उपयोगकर्ता अपनी इच्छा के अनुसार समाचार सामग्री साझा करते हैं.

चंद्रा ने कहा कि कोविड के बाद न केवल डिजिटल समाचार उद्योग, बल्कि प्रिंट समाचार उद्योग की वित्तीय स्थिति से जुड़ी समस्याएं रही हैं.

चंद्रा ने कहा कि पारंपरिक समाचार उद्योग का देश की सेवा करने का इतिहास रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि उनके पास जांच और संतुलन की पर्याप्त व्यवस्था है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही और तथ्यात्मक समाचार सामने आए और यह स्व-नियमन की हमारी घोषित नीति का एक अच्छा उदाहरण है.’

गौरतलब है कि डीएनपीए देश के 17 प्रमुख समाचार प्रकाशकों का एक संयुक्त (अम्ब्रेला) संगठन है. जिसमें इंडियन एक्सप्रेस समूह भी शामिल है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी इस अनिवार्यता पर जोर दिया.

इस मौके पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सांसद पॉल फ्लेचर, जो ऑस्ट्रेलिया में इस संबंध में बने कानून के दौरान संचार मंत्री थे, ने उन अनुभवों को साझा किया जब कानून के विरोध में गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों ने चुनौतियां खड़ी की थीं.

इस दौरान राज्यमंत्री चंद्रशेखर ने कहा, ‘’हम आशा करते हैं कि डिजिटल इंडिया एक्ट असमान नियंत्रण और सामग्री निर्माण एवं सामग्री निर्माणकर्ताओं की आर्थिक जरूरतों के बीच के असंतुलन की समस्या का निराकरण करेगा और जो शक्ति आज विज्ञापन प्रौद्योगिकी कंपनियों एवं विज्ञापन प्रौद्योगिकी मंचों के पास है, उसका भी समाधान करेगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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