जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले की घटना. स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन का कहना है कि उन्हें उनके पत्रकार होने की वजह से निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
एक अंतरराष्ट्रीय साझा रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने यह दिखाया है कि भारत समेत दुनियाभर की कई सरकारें भयावहता की हद तक सर्विलांस के तरीकों का इस्तेमाल इस तरह से कर रही हैं, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.
अफ़ग़ानिस्तान के कंधार ज़िले में स्पिन बोल्डक के मुख्य बाज़ार क्षेत्र पर फ़िर से क़ब्ज़ा करने के लिए अफ़ग़ान विशेष बल तालिबान आतंकियों के साथ लड़ रहे थे, जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी और एक वरिष्ठ अफ़ग़ान अधिकारी मारे गए. बीते कुछ दिनों से यहां पर भीषण लड़ाई चल रही है. देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच सरकार और तालिबान लड़ाकों के बीच लड़ाई तेज़ हो गई है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखने वाले मीडिया संगठनों के प्रतिनिधियों में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन शामिल हैं.
बीते दिनों उन्नाव में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा एक पत्रकार को पीटने का वीडियो सामने आया था. गिल्ड ने कहा है कि भले ही सीडीओ ने माफ़ी मांग ली है, लेकिन प्रशासन का मनमाना रवैया मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदेश में पत्रकारिता के माहौल में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.
ट्विटर ने इसके साथ ही भारत में 26 मई 2021 से 25 जून 2021 के बीच यूज़र्स की शिकायतों के प्रबंधन को लेकर एक पारदर्शिता रिपोर्ट भी प्रकाशित की है, जो देश में लागू हुए नए आईटी नियमों के तहत अनिवार्य थी.
संविधान के अनुच्छेद 139ए के तहत केंद्र सरकार ने सात जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें आईटी नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था. अदालत ऐसा करने से मना कर दिया है.
केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर न्यूज़ बॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की याचिका पर उससे जवाब मांगा है. इस याचिका में दलील दी गई है कि नए आईटी नियम सरकारी अधिकारियों को मीडिया की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने’ की ‘अत्यधिक शक्ति’ प्रदान करते हैं.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कम्प्लेंट काउंसिल (बीसीसीसी) को संउसके सदस्य चैनलों के लिए द्वितीय श्रेणी के स्व-नियामक के तौर पर पंजीकृत किया है. यह टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित सामग्री के ख़िलाफ़ आईं शिकायतों के समयबद्ध निपटान के लिए तीन-स्तरीय वैधानिक तंत्र प्रदान करेगी.
न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्टर निधि सुरेश के ख़िलाफ़ यह एफआईआर न्यूज़ 18 के पत्रकार दीप श्रीवास्तव की शिकायत पर दर्ज की गई है. निधि की एक रिपोर्ट में यूपी की एक महिला ने आरोप लगाया था कि उनके धर्म परिवर्तन संबंधी ख़बर बनाने को लेकर दीप ने उन्हें धमकाया और पैसे लिए.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए आईटी नियमों के ख़िलाफ़ द वायर, द न्यूज़ मिनट, द क्विंट आदि समाचार वेबसाइट ने अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें नियमों का पालन नहीं करने के लिए सरकारी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है.
केंद्र सरकार का यह क़दम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं. नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग कंपनियों को तेज़ी से विवादास्पद सामग्रियों को हटाना होगा, शिकायत समाधान अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और जांच में सहयोग करना होगा.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने प्रेस स्वतंत्रता को नियंत्रित करने वाले 37 राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों की सूची जारी की है, जिसमें उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन, पाकिस्तान के इमरान ख़ान के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार ये सभी वे हैं जो 'सेंसरशिप तंत्र बनाकर प्रेस की आज़ादी को रौंदते हैं, पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल में डालते हैं या उनके ख़िलाफ़ हिंसा भड़काते हैं.
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने याचिका दायर कर दावा किया है कि उनके बारे में मनगढ़ंत समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में ग़लत बात की है. उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थों वाले लोगों द्वारा ऐसी ख़बरें प्रसारित की जा रही हैं, ताकि कैबिनेट फेरबदल के दौरान उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाए.