क्या कारण है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नहीं बता पा रहीं कि वे और उनका मंत्रालय जाधव की मां व पत्नी को पाकिस्तान के मानवीय मुलाकात के झांसे से बचाने में क्यों विफल रहे?
अदालत में पेशी के दौरान पुलिस ने इन दोनों लड़कियों को बतौर वयस्क दिखाया और उन्हें जुवेनाइल होम की जगह जेल भेज दिया.
साल 2017 एक तरह से किसान आंदोलनों का साल रहा. पूरे बरस भर देश के किसी न किसी हिस्से में किसान आंदोलन करते रहे.
रजनीकांत ने कहा, ‘सब कुछ बदलना होगा और ऐसी आध्यात्मिक राजनीति की शुरूआत किए जाने की जरूरत है जिसमें पारदर्शिता हो और किसी जाति या धर्म का कोई रंग नहीं हो.’
राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी ने मणिशंकर अय्यर से दूरी बनाने की जितनी जल्दबाज़ी दिखाई उससे गुजरात और देश ने यह सबक नहीं लिया कि राहुल एक भद्र व्यक्ति हैं बल्कि यह संदेश गया कि राहुल में लड़ने का माद्दा नहीं है.
राजस्थान राजपूत सभा के अध्यक्ष ने कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं की मदद करना चाहता है. हम लोकतांत्रिक तरीके से पद्मावती का विरोध जारी रखेंगे.
सेंसर बोर्ड ने जांच समिति के साथ बैठक के बाद फिल्म को कुछ बदलावों के साथ यू/ए सर्टिफिकेट देने का फ़ैसला किया है.
उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से मिलने पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम पटेल ने इस्तीफ़े की बात नकारते हुए कहा कि पार्टी को नितिन को सौंपे गये विभागों पर दोबारा सोचना चाहिए.
गुरुवार रात कमला मिल परिसर में हुए हादसे के बाद बीएमसी ने अपने सभी वार्डों को नोटिस जारी कर नए साल के जश्न के मद्देनज़र रेस्त्रों के सुरक्षा मानकों की जांच करने को कहा है.
वीडियो: साल 2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था कैसी रही और 2018 में उसके समक्ष प्रमुख चुनौतियों पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
वीडियो: 2017 में भारत में हुई बड़ी राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं पर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेेसर अपूर्वानंद से अमित सिंह की बातचीत.
जन गण मन की बात की 172वीं कड़ी में विनोद दुआ तीन तलाक़ विधेयक के लोकसभा में मंज़ूरी मिलने पर चर्चा कर रहे हैं.
यूजीसी की एक समिति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का दौरा कर अपनी आॅडिट रिपोर्ट में कहा है कि यह विश्वविद्यालय ‘अलाभकारी’ और ‘अप्रभावी’ साबित होने के कगार पर पहुंच चुका है.
विशेष अदालत ने कहा कि वह एनआईए का यह तर्क मानती है कि आरोपियों ने हिंदू राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से बम धमाके को अंजाम देने की साज़िश रची थी.
मुल्क की बागडोर संभालते वक्त ‘संविधान को सबसे पवित्र किताब’ कहने वाले तथा अपने आप को ‘आंबेडकर का शिष्य’ घोषित करने वाले प्रधानमंत्री ने भी अनंत कुमार हेगड़े के बयान पर खामोशी बरतना मुनासिब समझा.