दो पड़ोसी देशों में सत्ता बदलने के बाद अडानी के कारोबार पर क्या असर पड़ेगा?

भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी का प्रभाव बढ़ने के साथ ही उद्योगपति गौतम अडानी के व्यापार का विस्तार पड़ोसी देशों- बांग्लादेश और श्रीलंका में देखने को मिला. हालांकि अब दोनों देशों में सत्ता परिवर्तन के बाद अडानी समूह के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

अडानी समूह को ध्यान में रख भाजपा शासित दो राज्यों ने निकाले बिजली उत्पादन संबंधी ठेके

बिजली का उत्पादन करने का ठेका देने के लिए राजस्थान और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा जारी टेंडर के नियम और शर्तों में बहुत-सी समानताएं थीं, जिन्हें अडानी समूह की विद्युत क्षेत्र की वर्तमान परियोजनाओं और भविष्य की योजनाओं के अनुसार तैयार किया गया था.

विनेश फोगाट राठी: जब सत्ता से जूझती खिलाड़ी राजनेता बनती है

विनेश स्टेडियम को छोड़कर एक नई राह पर चल पड़ी हैं. उनसे पहले भी खिलाड़ी राजनीति में आए हैं, लेकिन उन सभी ने अपनी पूरी पारी खेल चुकने के बाद संसद का रुख़ किया था. क्या सहसा चुना गया यह रास्ता विनेश को सार्थकता दे पाएगा?

श्रीलंका के नए राष्ट्रपति वामपंथी दिसानायके: भारत के लिए इसके अर्थ

अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के बड़े राजनीति घरानों को हराकर जनता की पहली पसंद बने हैं. श्रीलंका के नए राष्ट्रपति श्रमिक वर्ग की पक्षधरता और राजनीतिक अभिजात वर्ग की तीखी आलोचना के लिए जाने जाते हैं.

अग्निपथ के ज़रिये संघ नागरिकों का सैन्यीकरण चाहता है?

आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने बीते दिनों कहा कि अग्निपथ योजना को इस मक़सद से शुरू किया गया है कि नागरिकों को सेना के लिए तैयार किया जा सके.

हिंदी दिवस परिचर्चा: डिजिटल बनाम प्रिंट

'जब भी कोई नया माध्यम आता है तो यही आशंका जताई जाती है कि पुराने माध्यम चलन से बाहर हो जाएंगे. लेकिन टीवी और कंप्यूटर जैसे जितने भी नए माध्यम आए, वे किताब के ही अलग-अलग रूप बने, न कि प्रतिद्वंद्वी. प्रिंट हमेशा अपनी जगह रहेगा. साहित्य की जगह हमेशा बनी रहेगी.'

भारतीय समाज में हिंसा के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पांचेक दशक पहले गुंडई को अनैतिक माना जाता था और समाज में उसकी स्वीकृति नहीं थी. आज हम जिस मुक़ाम पर हैं उसमें गुंडई को लगभग वैध माना जाने लगा है- उस पर न तो ज़्यादातर राजनीतिक दल आपत्ति करते हैं, न ही मीडिया.

बंगनामा: कलकत्ते पर दस्तक देती फीकी दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा को अब तीन सप्ताह भी नहीं रह गए हैं लेकिन कलकत्ता के बाज़ार लगभग ख़ाली हैं. एक जूनियर डॉक्टर के सामूहिक बलात्कार और हत्या का जन आक्रोश रास्तों पर बह रहा है, चौराहों पर उमड़ रहा है. बंगनामा स्तंभ की दसवीं क़िस्त.

जब उतरती है कैनवास पर कविता

आज कुंवर नारायण की जन्म तिथि है. पढ़िए कलाकार सीरज सक्सेना का यह खूबसूरत निबंध जो उन्होंने अपने चित्रों और कुंवर नारायण की कविताओं से बुना है.

यूपी: क्या ‘ठोंक दो’ सिद्धांत वाली सरकार के राज में आमजन अपराधों से ज़्यादा सुरक्षित हुआ है?

योगी सरकार के सात सालों में उत्तर प्रदेश में अपराध उन्मूलन के अनेक बड़बोले दावों के बावजूद ऐसी पुलिस 'मुठभेड़ों' की ज़रूरत ख़त्म नहीं हो रही जहां भागने की कथित कोशिश में अभियुक्त मार गिराया जा रहा है. या पुलिस जिसे ज़िंदा गिरफ़्तार करना चाहती है, गोली उसके पांव में लगती है अन्यथा...

हिंदी दिवस परिचर्चा: हिंदी पत्रिका का अवसान?

हिंदी पत्रिकाएं समसामयिक सवालों से बचती रहीं और आधुनिकतावाद का डट कर सामना करने की बजाय सांप्रदायिक पहचान के निकट आती गईं. ‘क्या उपन्यास/ कहानी/ नई कहानी/नाटक मर गया?’ जैसे सवालों पर बहसियाने या छायावाद पर मुहल्ला-छाप लड़ाई लड़ना उन्हें आसान पड़ता था, उन्होंने वही किया.

हिंदी दिवस और राजकीय पाखंड

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बोलने वालों की संख्या के आधार पर हिंदी संसार की पांच बड़ी भाषाओं में एक है. पर ज्ञान, परिष्कार, विपुलता आदि के कोण से देखें तो तथ्य यह है कि हिंदी, चीनी या जापानी या कोरियाई की तरह ज्ञान-विज्ञान की भाषा नहीं है, न उस ओर अग्रसर ही है.

हिंदी को हिंदीवाद और राष्ट्रवाद से मुक्त किए बगैर भाषा का पुनर्वास असंभव

दुनिया में शायद हिंदी अकेली भाषा है जहां सेवक पाए जाते हैं. हिंदी में शिक्षक हो, पत्रकार हो या लेखक, हिंदी की सेवा करता है, उसमें काम नहीं करता.

अडानी समूह के साथ हुए पावर डील की शर्तों की समीक्षा करेगी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार

साल 2017 के एक समझौते के तहत उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी बांग्लादेश को बिजली निर्यात करती है. अब वहां की अंतरिम सरकार न सिर्फ़ इस समझौते की शर्तों की समीक्षा करना चाहती हैं, बल्कि यह मूल्यांकन भी करना चाहती है कि बिजली के लिए जो क़ीमत चुकाई जा रही है, वो उचित है या नहीं. 

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