‘राष्ट्र और नैतिकता’ भारत के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को समझने की नैतिक मार्गदर्शिका है

पुस्तक समीक्षा: राजीव भार्गव की ‘राष्ट्र और नैतिकता : नए भारत से उठते 100 सवाल ‘न केवल भारत के समकालीन नैतिक संकटों पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह हर उस भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है जो राष्ट्र के भविष्य को समझना और उसमें योगदान देना चाहता है.

अयोध्या विवाद: किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

कई जानकारों का कहना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में (खासकर अंतिम दिनों में) जो कुछ भी कहा व किया, उससे इस बात को ख़ुद अपने ही हाथों निर्धारित कर डाला कि इतिहास उनके प्रति कैसा सलूक करे.

बांग्लादेश के बारे में डोनाल्ड ट्रंप के दावे उनकी मौक़ापरस्ती का सबूत हैं

ट्रंप द्वारा बांग्लादेश को निशाना बनाना हिंदू-मुस्लिम के बीच की मौजूदा खाई को गहरा कर सकता है और दक्षिण एशियाई मूल के अमेरिकियों के बीच एक होने की भावना को मिटा सकता है.

सुपर चैट: यूट्यूब और यूट्यूबर नफ़रत परोसकर कमा रहे पैसे

यूट्यूब का सुपर चैट फीचर पैसा कमाने के लिए आम नागरिक को भड़काऊ चीज़ों की ओर प्रोत्साहित कर रहा है. सुपर चैट से उपजी कट्टरता को काबू करने में यूट्यूब न सिर्फ विफल रहा है, बल्कि उसका लाभ भी उठा रहा है.

मन्नार की खाड़ी के संरक्षित क्षेत्रों में समुद्री शैवाल की कटाई के अधिकार का सवाल

मन्नार की खाड़ी के आसपास रहने वाले लोग, ख़ासतौर पर महिलाएं आजीविका के लिए समुद्री शैवाल चुनने का काम करती आई हैं. सरकारी प्रतिबंधों के चलते यह काम प्रभावित हुआ है. हालांकि, चुनौतियों से निपटती हुई महिलाओं का मानना कि समुद्र महज़ आजीविका का साधन नहीं, उनका घर भी है.

वेनिस बिनाले: कला संसार का उत्सव ज़रूर मनाती है पर उसके त्रास को अनदेखा नहीं करती

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: वेनिस द्वैवार्षिकी की थीम थी- फॉरेनर्स एवरीवेयर. बहुत से देशों में आवश्यक कलात्मक स्वतंत्रता, सुविधाओं के अभाव के चलते कलाकार अजनबी देशों में भागकर बसते और कला सक्रिय होते हैं. ऐसी कला में अक्सर अवसाद का भाव भी होता है, मुक्ति के अलावा.

बंगनामा: बंगाली विविधता के दो पहलू

घोटी और बांगाल समुदाय कई विषयों पर एकमत हो सकते हैं पर जिस बात पर सहमति लगभग असंभव है वह है फुटबॉल का मैदान. सबसे बड़ी टीम कौन-मोहन बागान या ईस्ट बंगाल? बंगनामा स्तंभ की तेरहवीं क़िस्त.

दीये जलाइए तो माटी और कुम्हार को याद कीजिए

समृद्ध अतीत वाली कुम्हारी का वर्तमान दोहरे संकट का शिकार है. एक तो प्लास्टिक-फाइबर वगैरह से बनी वस्तुओं ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में तेज़ी से जगह बनाकर कुम्हारों के पैरों तले की ज़मीन तक छीन ली है, दूसरी ओर अब उनके काम लायक मिट्टी और आंवा के लिए ईंधन भी सुलभ नहीं रह गए हैं.

भारत की नई राजनीतिक संस्कृति में ज्ञान के बजाय अज्ञान का महिमामंडन हो रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पहले के निज़ामों में कमोबेश संस्कृति की स्वतंत्रता और गरिमा का एहतराम और आदर दोनो ही थे: वर्तमान निज़ाम ने संस्कृति को राजनीति की दासी और अधिक से अधिक उसे सत्ता के महिमामंडन और शोभा की चीज़ बना दिया है.

विकास यादव परिवार से मिलकर लौट गए, लेकिन मां की कसक कैसे मिटेगी

जब मीडिया विकास यादव के बारे में अटकलें लगा रहा था, वे अपने घर आए, परिवार के साथ समय बिताया, उन्हें आश्वस्त किया और वापस लौट गए. विकास का परिवार सत्ता के व्यवहार से नाख़ुश है. उन्हें लगता है कि भारत सरकार ने विकास को बचाने की कोशिश नहीं की.

मुसलमानों का अपने लिए आवाज़ उठाना नागरिक भाव को सक्रिय कर रहा है

भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रहे अन्याय के प्रति ग़ैर-मुसलमान भी बोल रहे हैं, लेकिन इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए कि मुसलमानों को अपने अधिकार के लिए या अपने ऊपर हुए अन्याय के ख़िलाफ़ अकेले आवाज़ नहीं उठानी चाहिए.

विधानसभा उपचुनाव से पहले ठाकुरवाद के आरोपों से घिरी योगी आदित्यनाथ सरकार

उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों के दौरान भाजपा को उस मुद्दे पर चुनौती मिल रही है, जहां वह ख़ुद को अजेय समझती थी- हिंदू एकता.

इतिहास जस्टिस चंद्रचूड़ को कैसे याद करेगा, यह उन्होंने ख़ुद तय कर दिया है

भारत के इतिहास में यह दर्ज किया जाएगा कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता की इमारत जब गिराई जा रही थी, हमारे कई न्यायाधीशों ने उसकी नींव खोदने का काम किया. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का नाम सुर्ख़ियों में होगा.

‘मैं सुरक्षित हूं’: अमेरिकी आरोप के तुरंत बाद विकास यादव ने परिजनों से कहा

विकास के परिजनों ने बताया कि अमेरिका द्वारा 17 अक्टूबर को जारी अभियोग के चौबीस घंटे के भीतर यानी 18 अक्टूबर को विकास ने उन्हें फोन पर कहा था, 'चिंता करने की कोई बात नहीं है, मैं सकुशल हूं और सुरक्षित हूं.'

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