बिहार जाति सर्वेक्षण: कहारों का इतिहास सामंती व्यवस्था द्वारा उत्पीड़न का रहा है

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग कहार जाति के बारे में है.

अयोध्या के मंदिर 1920-21 के किसान विद्रोह से अपना रिश्ता भूल गए…

साल 1920 में अवध किसान सभा ने ब्रिटिश सरकार के किसान विरोधी क़ानूनों व नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष की रणभेरी बजाने के लिए सम्मेलन हेतु अयोध्या के सरयू तट को चुना था. दमनकारी सरकार की निगाहों से बचते हुए सूबे के कोई एक लाख किसान वहां पहुंचे थे, जिनके लिए अयोध्या के संतों ने अपने मठ-मंदिर खोल दिए थे.

बिहार जाति सर्वेक्षण: समाज के हाशिये पर रहा मुसहर समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग मुसहर जाति के बारे में है.

यूपी: कुशीनगर में हुई ख़ुदकुशी माइक्रोफाइनेंस क़र्ज़ों में फंसे ग्रामीण गरीबों की त्रासदी की बानगी है

बीते हफ्ते कुशीनगर ज़िले के सेवरही क्षेत्र के मिश्रौली गांव की एक 30 वर्षीय आरती ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट द्वारा क़र्ज़ वसूली के लिए किए जा रहे उत्पीड़न से आजिज़ आकर ज़हर खा लिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई. गांव में ऐसी कंपनी के ऋणजाल में फंसने वाली आरती अकेली नहीं हैं. 

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार…

19 दिसंबर, 1927 को ब्रिटिश सरकार ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के तीन क्रांतिकारियों- रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाक़ उल्ला खां और रोशन सिंह को क्रमशः गोरखपुर, फ़ैज़ाबाद और इलाहाबाद की जेलों में फांसी दी थी.

अदम गोंडवी: ‘दिल पे रखके हाथ कहिए, देश ये आज़ाद है?’

पुण्यतिथि विशेष: अदम तब भी नहीं हकलाए, जब वंचितों के सारे हक़ों को मारकर बैठे सत्ताधीशों व हाक़िमों ने अपनी भृकुटियां टेढ़ी कर लीं और सबक सिखाने पर आमादा हो गए. अफ़सोसजनक है कि आज सत्ता ने सवालों की राह ऐसी बना दी है कि अनेक सवालिया निगाहें उसकी ओर उठने की हिम्मत तक नहीं कर पा रहीं.

हमारे देश ने अपनी नैतिक दिशा खो दी है

सारी दुनिया में लाखों यहूदी, मुसलमान, ईसाई, हिंदू, कम्युनिस्ट, एग्नॉस्टिक लोग सड़कों पर उतरकर गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, वही मुल्क जो कभी फिलिस्तीन का सच्चा दोस्त था, जिन पर कभी लाखों लोगों के जुलूस निकले हुए होते, वही सड़कें आज ख़ामोश हैं.

बड़े लेखक अपने साहित्य के लिए पढ़े-सराहे जाते हैं, अपनी विचारधारा के कारण नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विचारधारा से प्रतिबद्ध वही लेखक बड़े या महान हुए जिन्होंने अपने साहित्य में अपनी ही विचारधारा का अतिक्रमण करने का दुस्साहस किया, कह सकते हैं, अपने साहित्य-विचार के पक्ष में. यह अतिक्रमण न विरोध होता है, न ही विचलन. शमशेर और मुक्तिबोध ऐसे अतिक्रमण के उजले उदाहरण हैं.

‘15 दिसंबर जामिया के लिए ऐसा दाग़ है जो कभी मिटाया नहीं जा सकता’

15 दिसंबर 2019 को दिल्ली पुलिस ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में पत्थरबाज़ी का हवाला देते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया के कैंपस और लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को पीटा था. इस हिंसा के चार साल पूरे होने पर जामिया के छात्र-छात्राओं ने 'जामिया प्रतिरोध दिवस' मनाते हुए परिसर में मार्च निकाला.

बिहार जाति सर्वेक्षण: बंजारों की तरह जीने वाला समुदाय है बक्खो

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग बक्खो जाति के बारे में है.

प्रसारण विधेयक का मसौदा नियमन के बजाय सेंसरशिप लागू करने का ख़ाका है

सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तैयार प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 या प्रसारण विधेयक को सेंसरशिप चार्टर के बतौर देखा जा सकता है, जहां 'केंद्र सरकार' स्वतंत्र समाचारों को सेंसर बोर्ड जैसे दायरे में घसीटना चाहती है.

अयोध्या: अनिमंत्रितों से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में न आने की अपील का क्या अर्थ है?

राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की अपील सुनकर बरबस 'अज्ञेय' याद आते हैं, जिनका कहना था कि 'जो निर्माता रहे/ इतिहास में वह/ बंदर कहलाएंगे'. ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के लिए संघर्षरत रहे कारसेवकों व राम सेवकों का ‘बंदर कहलाने’ की नियति से साक्षात्कार क्यों कराया जा रहा है?

बिहार जाति सर्वेक्षण में क्यों शामिल नहीं हैं भिश्ती?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे के मद्देनज़र जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग भिश्ती जाति के बारे में है. हालांकि बिहार सरकार की रिपोर्ट में ये शामिल नहीं हैं, पर इनकी उपस्थिति अब भी है.

अस्थायी शिक्षकों को बर्ख़ास्त किए जाने पर क्या सोचते हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों से विभिन्न विभागों के ऐसे एडहॉक शिक्षकों को हटाने की घटनाएं सामने आई हैं, जो एक दशक से अधिक समय से सेवाएं दे रहे थे.

बिहार जाति सर्वेक्षण: नदियों का सगा माना गया है केवट समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग केवट जाति के बारे में है.

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