दूसरे राज्यों में फंसे कामगारों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रजिस्ट्रेशन की जद्दोजहद के बाद यात्रा की तारीख तय न होने से मज़दूर हताश हैं. कर्नाटक, कश्मीर और गुजरात के कई कामगार इस स्थिति से निराश होकर साइकिल या पैदल निकल चुके हैं या ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक ने दुनियाभर के अल्पसंख्यक समुदाय पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर कहा कि भारत में इस दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों के आधार पर मुस्लिमों की प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं.
जोमैटो के संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल का कहना है कि कोविड लॉकडाउन के चलते हमारा कारोबार गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है और हमें अपने सभी कर्मचारियों के लिए पर्याप्त काम मिल पाने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
बीते दिनों गाज़ीपुर, फर्रुखाबाद और हाथरस के ज़िला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान मस्जिदों के अज़ान लगाने पर रोक लगाने का मौखिक आदेश दिया था. इस आदेश को रद्द करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुअज़्ज़िन मस्जिद से अज़ान दे सकते हैं लेकिन आवाज़ बढ़ाने वाले किसी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
विशेष रिपोर्ट: देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकतर संसाधन कोविड-19 से निपटने में लगे हैं. कई जगहों पर ओपीडी और गंभीर बीमारियों से संबंधित विभाग बंद हैं और इमरजेंसी में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे मरीज़ और उनके परिजनों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं.
बिहार के विभिन्न ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर लगातार खाने-पीने और स्वच्छता संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत कर रहे हैं. कुछ सेंटर में रहने वाले कामगारों का यह भी आरोप है कि उनके इस बारे में शिकायत करने के बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है.
हरियाणा सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि सरकार तथा निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों, पुलिस और अदालत के अधिकारियों समेत ज़रूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को ई-पास दिखाने पर दिल्ली-हरियाणा के बीच आवाजाही की अनुमति दी जाएगी.
बीते दिनों लॉकडाउन में प्रवासी मज़दूरों की स्थिति को लेकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और एक संगठन के मज़दूरों संबंधी सर्वे के आंकड़े पेश किए थे. इस पर शीर्ष अदालत का कहना था कि वह किसी भी निजी संस्थान के अध्ययन पर भरोसा नहीं करेगी क्योंकि सरकार की रिपोर्ट इससे इतर तस्वीर पेश करती है.
सच्चाई यह है कि साल 2018 में सफूरा की शादी एक कश्मीरी युवक से हुई थी. सफूरा और उनका परिवार पहले से ही उनकी गर्भावस्था से वाकिफ था और यही वजह थी कि उनके वकील ने सफूरा की गर्भावस्था को ध्यान में रखते हुए अप्रैल में ही उनकी जमानत की गुहार लगाई थी.
अपराध सुधार के लिए काम करने वाले एक समूह के अध्ययन में सामने आया है कि दिल्ली की निचली अदालतों द्वारा साल 2000 से 2015 तक दिए गए मृत्युदंड के 72 फीसदी फ़ैसले समाज के सामूहिक विवेक को ध्यान में रखते हुए लिए गए थे.
देशव्यापी लॉकडाउन के बीच हैदराबाद से आ रहे उत्तर प्रदेश के महराजगंज के मज़दूरों का एक समूह 10 मई को कानपुर से एक बालू लदे ट्रक में सवार होकर घर की ओर निकला था, लेकिन गोरखपुर के सहजनवां थाना क्षेत्र के पास यह ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया, जिसमें दो श्रमिकों की जान चली गई.
विचारधारा की जकड़न से विचारों की स्वतंत्रता की नवल जी की यात्रा कष्टसाध्य रही. उन्हें ख़ुद को ही कई जगह अस्वीकार करना पड़ा. लेकिन चूंकि उनकी प्रतिबद्धता रचनाकार से भी आगे बढ़कर रचना से थी, और विचारधारा से तो कतई नहीं, सो उन्हें ख़ुद को बदलने में संकोच नहीं हुआ.
मुंबई से एक ऑटो रिक्शा चालक अपने परिवार और संबंधियों के साथ नौ मई को ऑटो से जौनपुर के लिए निकला था. मंगलवार को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले के खागा थाना क्षेत्र में उनके ऑटो को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, जिसमें चालक की पत्नी और बेटी की जान चली गई.
अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा 12 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण में कहा गया कि शहरी क्षेत्रों में 10 में से आठ श्रमिक (80 फीसदी) और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 में से लगभग छह श्रमिक (57 फीसदी) अपना रोज़गार खो चुके हैं. साथ ही ज़मीन पर राहत के तात्कालिक उपाय स्थिति की गंभीरता के अनुपात में नहीं दिखाई देते हैं.
जिस तरह कोरोना वायरस इंसान की देह में घुसकर वहां पहले से मौजूद बीमारियों के असर को बढ़ा देता है, ठीक उसी तरह इसने अलग-अलग देशों और समाजों में पहुंचकर उनकी दुर्बलताओं को उजागर किया है.