कॉलेज कैंपसों में महिलाओं के लिए बनाए जा रहे ऊटपटांग नियमों की फ़ेहरिस्त दिनबदिन लंबी होती जा रही है. नया फरमान कोल्लम (केरल) के एक नर्सिंग कॉलेज से निकला है.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको ले चल रहे हैं महिलाओं के एक ऐसे स्कूल जिसमें एडमिशन की उम्र कम से कम 60 साल है. महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के फांगणे गांव में ये स्कूल खोला गया है जिसका नाम आजीबाईची शाला (दादी अम्मा की पाठशाला) है.
मेनका गांधी के 'हारमोनल आउटबर्स्ट' वाले बयान के विरोध में 'पिंजड़ा तोड़ अभियान' की छात्राओं ने दिया जवाब- 'आपकी संकीर्ण सोच के पिंजड़े हमें क़ैद नहीं कर सकेंगे.'
क्या बस्तर में भी भारतीय संविधान लागू है? क्या माओवाद से लड़ाई के नाम पर ग्रामीणों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर, महिलाओं के बलात्कार, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले और जेल आदि सब जायज़ हैं, जबकि माओवाद तो ख़त्म होने की जगह बढ़ रहा है?
पिछले दिनों एक ऑनलाइन याचिका पर संज्ञान लेते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया है कि अस्पतालों द्वारा की गई सिजेरियन डिलीवरी का आंकड़ा सार्वजानिक किया जाए.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (आठ मार्च) से ठीक पहले महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी अपने एक बयान की वजह से विवादों में घिर गई हैं. उन्होंने लड़कियों के लिए हॉस्टल में समयसीमा तय करने के नियम को उचित ठहराया है.
हिंसा में दो पक्ष ज़रूर होते हैं, लेकिन बराबर नहीं. हिटलर की जर्मनी में भी दो पक्ष थे और गुजरात में भी दो पक्ष थे. जेएनयू में भी दो पक्ष थे और रामजस कॉलेज में भी दो पक्ष हैं. उनमें से एक हमलावर है, और दूसरा जिस पर हमला हुआ, यह कहने में हमारी संतुलनवादी ज़बान लड़खड़ा जाती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए सुझाव दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में अतिक्रमण करने वालों या मेट्रो रेल जैसी परियोजनाओं के अधिकार देने से पेड़ काटे जाने का कैग से ऑडिट कराया जाए.
सरकार द्वारा बकाया न चुकाए जाने के चलते प्रसिद्ध दवा निर्माता कंपनी सिप्ला ने एचआईवी प्रभावित बच्चों के लिए बेहद ज़रूरी दवा को बनाना बंद कर दिया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.
शहीद की बेटी के नाम एक ख़त: ‘अभय व्यक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी निधि है और उसका अभिप्राय केवल शारीरिक साहस से ही नहीं, बल्कि मानसिक निर्भयता से भी है.’
गुजरात के किसानों की दुर्दशा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि आत्महत्या के पीछे के कारणों पर ग़ौर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
गुज़रते वक़्त के साथ भले ही कंपनियों के भीतर ‘स्त्रीवाद’ के प्रति जागरूकता बढ़ती नज़र आ रही है, लेकिन कुल मिलाकर कॉरपोरेट सेक्टर जाति की हक़ीक़त और कार्यस्थल पर पड़ने वाले इसके प्रभावों से मुंह चुराता दिखता है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी फरमान के अनुसार, स्कूली बच्चों के अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों और सहायकों के पास भी आधार कार्ड होना ज़रूरी है.
बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.