मणिपुर में 3 मई से हुई हिंसक झड़पों में 75 से अधिक लोग मारे गए हैं, लगभग 200 घायल हुए और क़रीब 40,000 लोग विस्थापित हुए हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पहले हुई हालिया हिंसा में रविवार को अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम छह नागरिकों और दो पुलिस कमांडो की मौत हुई है.
मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मांस की दुकानों में मृत पशुओं के शव बाहर रखने पर रोक लगाई जाए. हालांकि उन्हें फ्रिज या किसी अन्य बर्तन में रखा जा सकता है, लेकिन इसका बाहर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन नहीं कर सकते.
मणिपुर में हिंसक विरोध फिर तेज़ हो गया है, जहां 25 मई को भीड़ ने केंद्रीय विदेश और शिक्षा राज्यमंत्री आरके रंजन सिंह के पूर्वी इंफाल ज़िले के कोंगबा स्थित घर में घुसने की कोशिश की. उधर, मुख्यमंत्री ने बताया कि 38 संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां केंद्रीय और राज्य बलों के जवान संयुक्त रूप से काम करेंगे.
मून इंगटिपी पर असम के विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के बहाने लोगों से ठगी करने का आरोप है. वह कार्बी आंगलोंग ज़िले में भाजपा के किसान मोर्चा की सचिव थीं. पार्टी नेताओं ने कहा कि गिरफ़्तारी के बाद उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया.
मणिपुर में हुईं हिंसक झड़पों पर अपने पहले सार्वजनिक बयान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि छह साल से हम सब शांतिपूर्वक एक साथ आगे बढ़े हैं. एक भी बंद नहीं था, एक भी नाकाबंदी नहीं थी. एक अदालत के एक आदेश की वजह से जो विवाद हुआ है, उसे बातचीत और शांति से सुलझाएंगे.
मणिपुर में बिष्णुपुर ज़िले ताज़ा हिंसा भड़कने के बाद फिर से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है. राज्य में बीते 3 मई को कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा बढ़ने के बाद लगातार हिंसा जारी है. कुकी समेत अन्य आदिवासी समुदाय मेईतेई समाज के एसटी दर्जा देने की मांग का विरोध कर रहे हैं.
उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष की लंबी सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं. मणिपुर में जारी वर्तमान अराजकता जातीय राजनीतिक आकांक्षाओं से जुड़ी हुई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर-पूर्व भारत में दशकों पुराने उग्रवादी अलगाववादी आंदोलनों के बीच जातीय विभाजन को मजबूत करने में धर्म ने एक बढ़ती हुई भूमिका निभानी शुरू कर दी है.
मणिपुर में रविवार और सोमवार को फिर हिंसा भड़क गई, जिसके चलते कर्फ्यू में दी गई ढील को दो घंटे कम कर दिया गया है. इंटरनेट पर प्रतिबंध 26 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालिया हिंसा के संबंध में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं.
पुलिस आयुक्त द्वारा साझा की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि कुछ निर्दिष्ट व्यक्तियों या समूहों द्वारा आने वाले दिनों में कार्यालयों के सामान्य कामकाज और जनता की आवाजाही और यातायात को बाधित करने की संभावना है. यह भी आशंका है कि ये लोग शहर में प्रदर्शन कर सकते हैं, जिससे शांति और व्यवस्था भंग हो सकती है.
असम सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि एक शिक्षक से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय सभी प्रकार की शालीनता का उदाहरण होने की उम्मीद की जाती है, इसलिए ड्रेस कोड का पालन करना आवश्यक हो गया है. सभी शिक्षकों को भड़कीले न दिखने वाले सादा रंगों के साफ, सभ्य और शालीन कपड़े पहनने होंगे.
चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी-हमार समुदायों से आने वाले मणिपुर के 10 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिए गए एक ज्ञापन में कहा है कि हिंसा के बाद उनके लोगों ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में ‘विश्वास खो दिया है’. इन विधायकों में भाजपा के सात विधायक शामिल है. कांग्रेस ने हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं.
मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने एक आदेश में कहा है कि हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद भी राज्य की जेलों में रखे गए म्यांमार के शरणार्थियों को तत्काल रिहा किया जाए और राज्य सरकार उन्हें उनके देश निर्वासित करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री के समक्ष यह मामला उठाए.
मेघालय में खासी हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद द्वारा पति या पिता के सरनेम को अपनाने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने से इनकार करने के आदेश की निंदा की जा रही है. खासी संस्कृति में बच्चे अपनी मां का सरनेम अपनाते हैं.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव बीते 3 मई को जातीय हिंसा में तब्दील हो गया था. मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई को एसटी में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफ़ारिश सौंपे.
कैथोलिक सदस्यों के एक मंच ‘फोरम ऑफ रिलिजियस फॉर जस्टिस एंड पीस’ ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि वह मणिपुर में हालिया हिंसा से हैरान और व्यथित है. फोरम ने नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद ईसाइयों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के प्रति चर्च की ठंडी प्रतिक्रिया और कुछ बिशपों द्वारा भाजपा सरकार की सराहना को लेकर भी निराशा प्रकट की.