ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद बता रही हैं कि सोशल मीडिया पर अब ट्रोलिंग नहीं हो रही है बल्कि गालियां और रेप की धमकी दी जा रही हैं जो कि आपराधिक कृत्य है.
पत्रकार डेफ्ने कारुआना गालिज़िआ ने माल्टा में पनामा पेपर्स से जुड़े घोटाले को उजागर किया था. उनकी रिपोर्ट में माल्टा के प्रधानमंत्री की पत्नी, चीफ आॅफ स्टाफ और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पर आरोप लगाया गया था.
मीडिया बोल की 19वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ मानहानि के दावे को लेकर रवीश कुमार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं.
ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ बता रहे हैं कि ट्रोल्स को गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत नहीं है.
एनबीसी न्यूज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ट्रंप अपने परमाणु हथियारों में दस गुना बढ़ोत्तरी चाहते हैं. ट्रंप ने इस ख़बर को फ़र्ज़ी बताया.
मौजूदा सरकार की नीतियों, वादों और कामों पर सवाल करना पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है.
16 अक्टूबर तक टली सुनवाई, जय शाह ने सोमवार को अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन अदालत में आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था.
जन गण मन की बात की 132वीं कड़ी में विनोद दुआ, जय अमित शाह-रॉबर्ट वाड्रा और दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री पर रोक के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.
हम भी भारत की चौथी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी द वायर में जय अमित शाह की कंपनी से जुड़ी रिपोर्ट लिखने वाली पत्रकार रोहिणी सिंह, कॉमन कॉज़ संस्था के विपुल मुद्गल और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रही हैं.
मीडिया बोल की 18वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश केरल में जारी भाजपा-माकपा संघर्ष और गुजरात में दलितों पर हो रहे हमले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार वीके चेरियन और पूर्णिमा जोशी से चर्चा कर रहे हैं.
ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ से अमित सिंह की बातचीत.
मोदी की पहचान एक ‘संवाद में माहिर’ नेता की है, लेकिन कुर्सी पर बैठने के बाद से अब तक उन्होंने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है. किसी लोकतंत्र के प्रधानमंत्री द्वारा प्रेस कांफ्रेंस करना मीडिया पर किया जाने वाला एहसान नहीं है, बल्कि सरकार की ज़िम्मेदारी है.
स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?