इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट के मुताबिक़, इस सूची में लगातार दूसरी बार मेक्सिको पहले नंबर पर है, जहां इस साल सात पत्रकारों की हत्या की गई. इसके बाद भारत और अफ़ग़ानिस्तान हैं, जहां छह-छह पत्रकारों को मारा गया.
साल 2019 के लिए गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में क्रमशः 'डिजिटल मीडिया' और 'ब्रॉडकास्ट मीडिया' वर्ग में द वायर हिंदी के रिपोर्टर धीरज मिश्रा और स्वतंत्र पत्रकार सीमी पाशा को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार दिया गया है. चार साल के सफर में द वायर हिंदी के रिपोर्टर को मिला यह दूसरा रामनाथ गोयनका अवॉर्ड है.
द वायर और द क्रॉसकरेंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि असम में ज़रूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन किस तरह मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी. इस मुद्दे का ज़िक्र करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक हीरेन गोहेन ने एक लेख लिखा था, जिसे राज्य के तीन अख़बारों ने प्रकाशित करने से मना कर दिया.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.
केरल हाईकोर्ट ने एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की. इस पूर्व न्यायिक अधिकारी ने प्राचीन वस्तुओं के एक स्वयंभू विक्रेता के ख़िलाफ़ जांच के सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के बारे में अमर्यादित और कटु टिप्पणी की थी.
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में सुदर्शन टीवी के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके दिल्ली में 19 दिसंबर को आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम में यह शपथ दिलाते नज़र आ रहे हैं.
पिछले वर्ष कोविड-19 फैलने के बाद से संसद सत्र के दौरान प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बहुत सीमित संख्या में पत्रकारों, फोटो पत्रकारों, कैमरामैन को संसद परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है. दूसरी ओर कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश पर लगे कथित प्रतिबंध के ख़िलाफ़ मीडियाकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि ये चैनल और वेबसाइट 'पाकिस्तान से संचालित एक समन्वित दुष्प्रचार नेटवर्क' से संबंधित हैं तथा 'भारत से संबंधित विभिन्न संवेदनशील विषयों के बारे में फ़र्ज़ी ख़बरें फैला रहे हैं.'
अंग्रेज़ी के प्रमुख अख़बारों ने पंजाब में 'बेअदबी' की घटनाओं पर प्रकाशित संपादकीयों को नेताओं द्वारा मॉब लिंचिग की घटना की निंदा न किए जाने पर केंद्रित किया है. इनमें कहा गया कि यह चुप्पी चुनावों से पहले मतदाताओं के एक वर्ग को नाराज़ नहीं करने के उद्देश्य से है.
द वायर ने अपनी कई रिपोर्ट्स में बताया था कि किस तरह इज़राइल स्थित एनएसओ ग्रुप द्वारा निर्मित मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और सिविल समाज के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
पेशेवर करिअर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में करने वाले चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अख़बारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं करने पर विरोधस्वरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज़ बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में बीते तीन अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा ने इस दौरान किसानों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. मामले की जांच कर रही एसआईटी ने आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास और शस्त्र अधिनियम के तहत चार और आपराधिक आरोप लगाने की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की है.
जम्मू कश्मीर में कठुआ के रामकोट इलाके का मामला. भाजपा नेता नारायण दत्त त्रिपाठी पर दो पत्रकारों से मारपीट का आरोप है. यह घटना नौ दिसंबर को उस समय हुई, जब दैनिक शिव टाइम्स के पत्रकार कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री डॉ. मनोहर लाल शर्मा का साक्षात्कार ले रहे थे. अख़बार के कार्यकारी संपादक ने बताया कि इस संबंध में एक केस दर्ज कराया गया है, लेकिन पुलिस ने भाजपा नेता के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि ये दोनों पत्रकार उन चार पत्रकारों के समूह का हिस्सा हैं जिनसे ब्लॉग साइट कश्मीरफाइट डॉट वर्डप्रेस डॉट कॉम के ख़िलाफ़ दर्ज मामले में इस साल सितंबर में पूछताछ की गई थी. नौ सितंबर को पुलिस ने कहा था कि इस संबंध में दर्ज मामले की जांच के दौरान विश्वसनीय सबूत मिले हैं कि चारों पत्रकारों का संबंध ब्लॉग के मास्टरमाइंड से है.