वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम का नाम भी शामिल है. इस विषय पर द वायर ने उनसे बातचीत की.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई भारतीय एवं अफ़ग़ान अधिकारियों के हवाले लिखा है कि पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी का शव जब प्राप्त हुआ था तो वह पहचाने जाने लायक नहीं रह गया था. बीते 16 जुलाई को दानिश की मौत अफ़ग़ानिस्तान के कंधार शहर स्पिन बोल्डक में अफ़ग़ान सैनिकों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर करते समय हुई थी.
राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के सदस्य गिरराज मीणा द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि 23 जुलाई की शाम सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके ने उन्हें और पूरे आदिवासी समुदाय को गाली दी. यह भी कहा गया कि वे सांप्रदायिक सद्भाव को भंग करने के लिए अराजकता और दंगे फैलाना चाहते हैं.
अमेरिका की एक पत्रिका वाशिंगटन एक्जामिनर के मुताबिक़, तालिबान ने रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि करने के बाद उन्हें और उनके साथ के लोगों को मारा था. पुलित्जर विजेता दानिश कंधार शहर के स्पिन बोल्डक में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर करने गए हुए थे.
स्थानीय अदालत ने एक सोशल मीडिया कंपनी समेत 10 मीडिया घरानों को कोविड-19 दूसरी लहर के दौरान बिस्तर घोटाले के संबंध में भाजपा विधायक सतीश रेड्डी के ख़िलाफ़ ख़बर प्रसारित या प्रकाशित करने से रोक दिया. विधायक ने इंटरनेट पर पहले से मौजूद प्रकाशित खबरों को हटाने का भी अनुरोध किया था.
वीडियो: डीएनए के पूर्व विशेष संवाददाता और स्वतंत्र पत्रकार दीपक गिडवानी का फ़ोन नंबर पेगासस की जासूसी वाली संभावित सूची में शामिल है. इस मुद्दे पर दीपक गिडवानी से द वायर की बातचीत.
वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में पंजाबी भाषी अख़बार ‘रोज़ाना पहरेदार’ के एडिटर-इन-चीफ जसपाल सिंह हेरां का नाम भी शामिल है. जसपाल सिंह से इस मामले पर द वायर की बातचीत.
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल है, ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में शामिल थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग की गई या वे संभावित निशाने पर थे.
साक्षात्कार: झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और उनसे जुड़े तीन फोन नंबर पेगासस स्पायवेयर द्वारा जासूसी की संभावित सूची में शामिल हैं. इस बारे में रूपेश कुमार सिंह से बातचीत.
दैनिक भास्कर समूह के खिलाफ बीते गुरुवार से जारी छापेमारी के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने रविवार को दावा किया कि उसे मीडिया समूह के 2200 करोड़ रुपये के कथित फर्जी लेन-देन का पता चला है. इसके साथ ही उसने भारत समाचार एवं उससे जुड़े व्यवसाय पर करीब 200 करोड़ रुपये का बिना हिसाब का लेनदेन होने का आरोप लगाया है.
आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोपों में दो प्रमुख मीडिया समूहों- दैनिक भास्कर और उत्तर प्रदेश के हिंदी समाचार चैनल भारत समाचार के परिसरों पर बीते 22 जुलाई को छापा मारा था. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि दैनिक भास्कर द्वारा कोविड-19 महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के ख़िलाफ़ ये छापेमारी की गई हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था.
मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम ने भाजपा अध्यक्ष एस. टिकेंद्र सिंह की कोविड-19 महामारी से निधन के बाद फेसबुक पर एक व्यंगात्मक पोस्ट करते हुए लिखा था कि गोमूत्र और गोबर काम नहीं आया. बीते मई महीने में गिरफ़्तारी के तुरंत बाद उन्हें ज़मानत मिल गई थी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें जेल में डालकर एनएसए लगा दिया था.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत कई रिपोर्ट की श्रृंखला में द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा बताया गया है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी के लिए पत्रकारों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कुछ सरकारी अधिकारी व कारोबारियों को संभावित टारगेट के तौर पर चुना गया था.
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार इस समयावधि में विज्ञापनों के लिए राष्ट्रीय समाचार चैनलों को 88.68 करोड़ व क्षेत्रीय चैनलों को 71.63 करोड़ रुपये मिले. जिन पांच हिंदी चैनलों को सर्वाधिक राशि मिली, उनमें न्यूज़18 इंडिया, आज तक, इंडिया टीवी, जी न्यूज़ और रिपब्लिक भारत शामिल हैं.
वीडियो: आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोपों में मीडिया समूह दैनिक भास्कर के विभिन्न शहरों में स्थित परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख टीवी समाचार चैनल भारत समाचार के यहां भी छापेमारी की. इस मुद्दे पर भारत समाचार की वरिष्ठ पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा, यूपी राजनीति के जानकार शरत प्रधान और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.