‘विपक्षी दलों को भाजपा से सीखने की ज़रूरत है’

विपक्ष को एक नए भारत का सपना बुनना होगा जो भाजपा के हिंदूवादी, आर्थिक आधार पर खड़े विचार को चुनौती दे सके. एक ऐसा भारत जिसमें अस्मिता और देशभक्ति भी शामिल हो, विकास और सम्पन्नता की सोच भी.

उत्तर प्रदेश चुनाव और मोदी का ‘नैतिक शुद्धिकरण’ प्रोजेक्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नैतिक शुद्धिकरण’ प्रोजेक्ट ने जाति की दीवारों को तोड़ने और एक व्यापक सामाजिक गठजोड़ तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है.

गोवा में 16 मार्च को होगा शक्ति परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने 16 मार्च को शक्ति परीक्षण का आदेश पारित किया है.

क्या तवांग तय करेगा भारत-चीन के रिश्ते?

अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन अपना दावा जताता रहा है और जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन पर भारत का दावा है. ऐसे में तवांग और अक्साई चिन की अदला-बदली को लेकर बीते दिनों एक पूर्व शीर्ष चीनी वार्ताकार की टिप्पणी काफ़ी कुछ कहती है.

ये देखना होगा कि भाजपा यूपी में मिली बेलगाम ताकत का इस्तेमाल कैसे करती है?

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक समर्थन हासिल करने में मिली भाजपा की कामयाबी को अगर शासन के आदर्श के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है, तो आनेवाला समय देश के लिए अंधकारमय हो सकता है.

‘यूपी का चुनाव परिणाम सामाजिक न्याय के नेताओं की राजनीति की हार है’

लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.

इरोम की हार और लोकतंत्र का शोकगीत: ‘थैंक्स फॉर 90 वोट्स’

मानवता के इतिहास में तमाम करुण कहानियां अनकही रही गई हैं. इरोम शर्मिला का अपनी मुसलसल हार के लिए जनता को धन्यवाद देना वैसी ही एक अनकही कहानी है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाएगी?

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में राजनाथ सिंह, उमा भारती, मनोज सिन्हा, केशव मौर्या, योगी आदित्यनाथ समेत तमाम नामों पर चर्चा चल रही है.

‘उत्तर प्रदेश का चुनाव परिणाम डराता भी है’

भले ही जनता ने मोदी को विधानसभा में प्रचंड बहुमत दे दिया है लेकिन लोकसभा की तरह उसे यहां भी निराश होना पड़ेगा. वजह साफ है कि न तो मोदी के पास कोई बड़ी दृष्टि है और न ही उनके पास स्थितियों को समझने का धैर्य.

‘भाजपा की जीत राष्ट्रवाद और मुस्लिम घृणा के पैरोकारों में नया जोश पैदा करेगी’

हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा ऐसे माहौल में समाज में सांप्रदायिक भय खड़ा करता है. हिंसा का भय 1984 के चुनाव में राजीव गांधी के रणनीतिकारों ने भी खड़ा किया था. तब राजीव गांधी ने भी जीत का कीर्तिमान बनाया था. यह कीर्तिमान अब मोदी-शाह ने बनाया है.

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