उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के समिति से मिलने वाले लद्दाख के नेताओं ने कहा है कि अगर एजेंडा में राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे पर बातचीत शामिल नहीं हुई तो वे आगामी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मुस्लिम और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाए जाने के बाद कई मुस्लिम परिवार क़स्बे से जा चुके हैं. इनमें भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे से जुड़े नेता भी हैं. उनका मानना है कि अगर राज्य सरकार मुसलमानों की मदद की इच्छा रखती, तो ऐसा नहीं होता.
विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 'बजरंग सेना' का हाथ थामा है. 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देखने वाले इस संगठन की पहचान अब तक हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे बढ़ाने, मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने और नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वालों का समर्थन करने की रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ‘अहिंसक और गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए अपने उत्कृष्ट योगदान’ के लिए गीता प्रेस का चयन किया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने फैसले की आलोचना करने के लिए कहा कि यह फैसला ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है.
नागरिकों की चेतना को आत्मसमर्पण के लिए भ्रमित करने की बाध्यकारी राजनीति को ख़त्म करने की जरूरत है. जो लोग वैकल्पिक नेतृत्व की बात कर रहे हैं उनके कंधों पर ऐसे ऐतिहासिक मार्ग को चुनने और बनाने के साथ उस पर चलने की बड़ी चुनौती है.
देश भर के 550 से अधिक सिविल सोसायटी समूहों और व्यक्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ा रही है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया गया है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुस्तानी अवाम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए 'महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी' का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी अब सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा नहीं है क्योंकि यह जदयू के साथ विलय के लिए तैयार नहीं है.
उत्तराखंड में किस मज़हब के लोग कहां व्यवसाय करें, इसका फैसला संविधान या क़ानून नहीं बल्कि कट्टरपंथी करेंगे! नफ़रत के बीज बोने वाले जिन लोगों को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए वे युगपुरुष बनकर क़ानून को ठेंगा दिखा रहे हैं और संविधान की शपथ लेने वाले उनके आगे दंडवत हैं.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा शासन में किए संशोधनों को ‘पाठ्यक्रम के भगवाकरण’ को सुधारने का प्रयास बताते हुए स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक कन्नड और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन को मंज़ूरी दी है. सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून में पारित संशोधनों को भी रद्द करने की योजना पर काम कर रही है.
मणिपुर में पिछले लगभग डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच इंटरनेट पर प्रतिबंध 20 जून तक बढ़ा दिया गया है. अपना घर जलाए जाने पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंसा को लेकर चुप्पी तोड़ने की अपील की है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम को सीधे राज्य को चावल बेचने की अनुमति पर अचानक रोक लगाने के फैसले को ‘कन्नड’ और ‘ग़रीब’ विरोधी क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के ख़िलाफ़ क्यों हैं? वे ग़रीबों से भोजन क्यों छीनना चाहते हैं?
एक विद्रोही कुकी संगठन के अध्यक्ष द्वारा 2019 में गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में दावा किया गया था कि 2017 में भाजपा नेता हिमंता बिस्वा शर्मा और राम माधव ने मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उनसे मदद ली थी. कांग्रेस ने पत्र का हवाला देते हुए शर्मा और माधव के ख़िलाफ़ एनआईए जांच की मांग की है.
वीडियो: ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व मालिक जैक डोर्सी का भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के समय ट्विटर पर दबाव बनाने का दावा इस बात को पुख़्ता करता है कि कैसे मोदी सरकार ने मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया को भी नियंत्रित करने की हरसंभव कोशिश की है.
ये विवादास्पद ग़ैर न्यायिक हत्याएं 1998 और 2001 के बीच असम में तब हुई थीं, जब प्रफुल्ल कुमार महंत राज्य के मुख्यमंत्री थे और गृह विभाग भी संभाल रहे थे. इन हत्याओं को गुप्त हत्या के नाम से जाना जाता है. इनमें प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा से जुड़े लोगों के रिश्तेदारों सहित क़रीबी सहयोगियों को गोली मार दी जाती थी.