दीनदयाल उपाध्याय: जो मुसलमानों को समस्या और धर्मनिरपेक्षता को देश की आत्मा पर हमला मानते थे

अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.

मध्य प्रदेश: बाल विवाह कराने के मामले में पूर्व मंत्री सहित चार भाजपा नेताओं पर केस दर्ज

साढ़े पांच साल पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत नाबालिग आदिवासी लड़की का विवाह एक शादीशुदा व्यक्ति से करा दिया गया था.

बीएचयू में आधी रात छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज, फायरिंग-आगजनी, विश्वविद्यालय दो अक्टूबर तक बंद

कैंपस में छात्राओं के साथ बढ़ती छेड़खानी के विरोध में छात्राएं दो दिन से धरने पर बैठीं थीं.

दिनकर: उजले को लाल से गुणा करने से बनने वाले रंग की कविता

रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था, ‘मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं. इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का है. मेरा विश्वास है कि अंततोगत्वा यही रंग भारत के भविष्य का रंग होगा.’

बसपा के इस दागी विधायक पर क्यों मेहरबान है मोदी सरकार?

उत्तर पूर्वी राज्यों में काम का कोई अनुभव न होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की कंपनी को नगालैंड के वोखा-मैरापानी रोड बनाने का ठेका दिया गया है.

स्वरूपानंद सरस्वती और वासुदेवानंद सरस्वती को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं माना शंकराचार्य

उच्च न्यायालय ने ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य का चुनाव तीन महीने के भीतर करने का निर्देश दिया.

दोषी सिद्ध होते ही अयोग्य न घोषित हों सांसद और विधायक: केंद्र

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसे सांसदों और विधायकों को खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले के ख़िलाफ़ अपील करने का एक अवसर मिलना चाहिए.

रोहिंग्या शरणार्थी नहीं, अवैध प्रवासी हैं: राजनाथ सिंह

केेंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब म्यांमार रोहिंग्या लोगों को वापस लेने के लिए तैयार है, तो कुछ लोग क्यों उन्हें वापस भेजे जाने पर आपत्ति जता रहे हैं.

मालिकों के हित में श्रम कानून बदलना चाहती है केंद्र सरकार: मज़दूर संगठन

संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के ज़रिये सरकार मज़दूरों के हड़ताल और विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है.

दास कैपिटल के 150 साल: कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं इसकी

गुज़रे ज़माने की चीज़ क़रार दिए जाने के बाद भी न सिर्फ ‘दास कैपिटल’ बल्कि मार्क्स भी जीवित हो उठे हैं. इस बार उनका अवतार किसी धर्मशास्त्र या गुरु की तरह नहीं हुआ है, बल्कि पूंजीवाद के समकालीन संकट की व्याख्या करने के उपयोगी औज़ार के तौर पर हुआ है.

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