इस योजना के तहत यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण किया जाना है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा गया तो केदारनाथ त्रासदी जैसी घटना दोबारा हो सकती है.
सेना की एक महिला अधिकारी ने दिसंबर 2016 में सेवारत मेजर जनरल के खिलाफ लिखित शिकायत की थी. जसवाल उस वक्त नगालैंड में असम राइफल्स में बतौर महानिरीक्षक सेवा दे रहे थे.
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के में राशन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से कोटे की दुकानों पर ई-पॉश मशीन लगाकर राशन देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
छत्तीसगढ़ में अब अनुसूचित जाति को 13 फीसदी तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके साथ ही राज्य में आरक्षण की सीमा कुल 72 फीसदी हो जाएगी, जो कि देश में सबसे अधिक होने के साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई 50 फीसदी की सीमा से 22 फीसदी अधिक होगी.
रजनीगंधा, छोटी-सी बात पति, पत्नी और वो फिल्मों में काम कर चुकी विद्या सिन्हा का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया.
आज़ादी के 75 साल: जब सत्ता यह तय करती है कि जनता क्या सुन सकती है, क्या गा सकती है, तब संगीत और संगीतकारों को अपना रास्ता बदलना पड़ता है या ख़त्म हो जाना पड़ता है.
आज़ादी के 75 साल: विभाजन के बाद पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री को बनाने में न सिर्फ सीमित संसाधनों की समस्या का सामना करना पड़ा, बल्कि भारत से आने वाली तकनीकी रूप से श्रेष्ठ हिंदी फिल्मों को सीमित करने के लिए ताकतवर डिस्ट्रीब्यूटर लॉबी से भी लड़ाई लड़नी पड़ी.
आज़ादी के 75 साल: बंटवारे के बाद नए ज़ायक़ों ने जगह बनानी शुरू कर दी. ‘तंदूरी’ दिल्ली का खाना बन गई और शाहजहानाबाद यानी पुरानी दिल्ली के मुग़लई व्यंजन थाली से बाहर होते गए. बंटवारे के पहले के कई व्यंजन अब भुलाए जा चुके हैं, लेकिन यह भी सच है कि उस प्रलयकारी अध्याय ने भारत का परिचय नए ज़ायक़ों से भी कराया.
जहां हिंदी लेखकों ने विभाजन पर बार-बार लिखा, हिंदी कवि इस पर तटस्थ बने रहे. कइयों ने आज़ादी मिलने के जश्न की कविताएं तो लिखीं, लेकिन देश बंटने के पीड़ादायी अनुभव पर उनकी चुप्पी बनी रही.
इसमें कोई शक नहीं कि रामायण और महाभारत जैसी मिथकीय गाथाओं का भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर कहीं व्यापक असर पड़ा, मगर जो मानक बुनियाद ने बनाया, उसे फिर नहीं बनाया जा सका.
स्मृति के रूप में जीवित विभाजन एक मौखिक संसार है, जो चुप्पियों में दबा हुआ है, नाउम्मीदी की भाषा में फंसा हुआ है. 76 सालों के बाद भी जिसके ज़ख़्म भरने का नाम नहीं लेते.
एक रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु के कई स्कूलों में बच्चों की जाति बताने के लिए उनके हाथ में अलग-अलग रंगों के बैंड पहनाए जा रहे हैं. स्कूली शिक्षा निदेशक ने ऐसे स्कूलों की पहचान कर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
एक तरफ कहा जाता है कि कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है, उस लिहाज़ से कश्मीरी भी अभिन्न होने चाहिए थे. तो फिर इस बदलाव की प्रक्रिया में उनसे बात क्यों नहीं की गई? उनकी राय क्यों नहीं पूछी गई?
केरल के एर्नाकुलम, इडुक्की और अलाप्पुझा में मंगलवार और उत्तरी जिलों मलप्पुरम और कोझिकोड में बुधवार के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया. राज्य के 1,332 राहत शिविरों में 2.52 लाख से अधिक लोगों ने शरण ली है.
फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद लोगों में निराशा बढ़ती जा रही है. कुछ अधिकारी यह स्वीकार कर रहे हैं कि फोन लाइनों के बंद रहने से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.