केंद्र सरकार से शुक्रवार को होने वाली आठवें दौर की बातचीत से पहले हज़ारों किसानों ने दिल्ली और हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला. किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज़ एक रिहर्सल है.
भाजपा के पूर्व मंत्री टिकशान सूद के बयान से नाराज प्रदर्शनकारी किसानों ने उनके घर के बाहर गोबर फेंक दिया था जिसके बाद उन पर हत्या के प्रयास सहित कई अन्य आरापों में मामला दर्ज कर लिया गया था. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने वाले एसएचओ के तबादले का भी आदेश दिया है और अब मामले की जांच एसआईटी कर रही है.
भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, ‘मंत्री चाहते हैं कि हम क़ानून पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि क़ानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि क़ानून पूरी तरह से वापस हों. सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’
भाजपा नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री संपत सिंह ने कहा कि इस समय किसी भी राजनीतिक दल में किसानों को उकसाने की ताक़त नहीं है. यह पूरी तरह से किसानों के अस्तित्व के लिए उनका संघर्ष है इसलिए आंदोलन के लिए विपक्षी दलों को ज़िम्मेदार ठहराना बेतुका है.
बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने भाजपा नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री टिकशान सूद के घर में गोबर इसलिए फेंका, क्योंकि वे उनके उस बयान से नाराज थे, जिसमें उन्होंने कथित तौर कहा था कि सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे अधिकांश किसान कृषि क़ानूनों से परिचित नहीं हैं और वे वहां पिकनिक पर जा रहे हैं.
राजस्थान और हरियाणा के साथ कई अन्य स्थानों के किसानों का एक बड़ा समूह पिछले कई दिनों से केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों का जयपुर-दिल्ली हाईवे पर विरोध कर रहा है. वहीं, दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर हज़ारों की संख्या में किसान जुटे हैं. उनका कहना है कि तीनों कृषि क़ानूनों के वापस होने तक वे वापस नहीं लौटेंगे.
दो किसानों की मौत टिकरी बॉर्डर, जबकि एक किसान की मौत सिंघू बॉर्डर पर हुई है. केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर बीते एक महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले एक महीने से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बैठे किसानों और सरकार के बीच पिछली बैठक में कुछ मांगों पर सहमति बनी है, लेकिन किसानों का कहना है कि मुख्य मांग नए क़ानूनों को वापस लेने और एमएसपी क़ानून बनाने की है, जब तक वो नहीं मानी जाएंगी, प्रदर्शन जारी रहेगा.
किसान संगठनों की ओर से शनिवार को कहा गया है कि मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा होगा, तब दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी. किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत चार जनवरी को होनी है.
ग़ाज़ीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर बने प्रदर्शन स्थल की घटना. मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले में बिलासपुर निवासी किसान सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई. अपने कथित सुसाइड नोट में उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान पंजाब के कई लोगों की मौत हुई, जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से किसी ने भी बलिदान नहीं दिया.
वीडियो: तीन नए कृषि क़ानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध के बीच बीते एक महीने से किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. प्रदर्शन को एक महीने से अधिक समय होने पर किसानों से विशाल जायसवाल की बातचीत.
वीडियो: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे आंदोलन को वे डॉक्टर भी अपना समर्थन दे रहे हैं, जो कोविड-19 के दौरान पिछले कई महीनों में वेतन से लेकर विभिन्न सुविधाओं के संबंध में कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. उनसे बातचीत.
मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले के 22 किसानों को ठगने का मामला सामने आया है, जहां देवास ज़िले की एक फर्म नए कानून का हवाला देकर किसानों से खरीदी कर क़रीब दो करोड़ रुपये की चपत लगाकर भाग गया. नया क़ानून आने के बाद से राज्य में ये आठवां मामला आया है. इसमें क़रीब 150 किसानों को ठगा गया है.
टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन के अनुसार,राज्य में कम से कम 1,600 टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है. कई हिस्सों में टावरों की बिजली आपूर्ति रोक दी गई है और साथ ही केबल भी काट दी गई हैं. वहीं जालंधर में जियो की फाइबर केबल के कुछ बंडल भी जला दिए गए.
केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते एक महीने से दिल्ली की सीमाओं में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है.