कई बरस से लोग भूख से मर रहे हैं, लेकिन सत्ता हमेशा इस बात से इंकार करती है कि इस देश में किसी की मौत भूख के चलते भी होती है.
झारखंड के सिमडेगा ज़िले में रहने वाली कोयली देवी का कहना है कि उनकी बेटी भूख की वजह से मर गई. पिछले आठ महीने से उन्हें सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि वह राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाई थीं.
गिरीडीह के मज़दूर बेटे ने पिता को भेजा पैसा, बैंक ने क़र्ज़ में एडजस्ट किया, आहत पिता ने फांसी लगाई. बांदा में क़र्ज़ से परेशान युवक ने ख़ुद को गोली मारी.
केंद्र सरकार ने कॉलेजियम द्वारा छह महीने पहले चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी है. सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध की स्थिति से देश की विभिन्न अदालतों में 3 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.
झारखंड में शासन के हज़ार दिन पूरे होने पर विज्ञापनों के ज़रिये रघुबर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है.
आस्था की स्वतंत्रता की गारंटी देते वक़्त कभी संविधान निर्माताओं ने यह नहीं सोचा होगा कि लोगों की निजी आस्था पर अमल पर्यावरण को कितना बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतने के लिए मजबूर कर सकता है.
11 अगस्त को झारखंड के अधिकतर हिंदी अख़बारों में छपे एक सरकारी विज्ञापन में गांधी के नाम से धर्मांतरण के संबंध में वो बातें लिखी गईं, जो उन्होंने कभी कही ही नहीं थीं.
झारखंड सरकार के विज्ञापन को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने झूठा बताते हुए की निंदा.
विधेयक के अनुसार जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने का दोषी पाए जाने पर 3 साल की सज़ा और 50 हज़ार रुपये का ज़ुर्माना देना होगा.
नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाट पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशा-निर्देश बनाने को भी कहा है.
जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील की थी, उसी दिन झारखंड में एक व्यक्ति को गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
जिस दिन प्रधानमंत्री ने बयान दिया कि गाय और गोरक्षा के नाम पर किसी को क़ानून हाथ में लेने का हक़ नहीं है, उसी दिन झारखंड में एक और व्यक्ति की गाय के नाम पर हत्या कर दी गई.
झारखंड के गिरिडीह में डेयरी संचालक के घर के पास कथित तौर पर गाय का कटा शरीर देखकर भीड़ ने किया हमला.
पिछले 70 साल में कोयलांचल की आग बुझाने, रेललाइन की वैकल्पिक व्यवस्था करने और झरिया-सिंदरी बचाने का कोई काम क्यों नहीं हुआ?