दुनिया में विकास का पैमाना युद्धों का ख़ात्मा क्यों नहीं है?

मानव समाज के 3400 सालों के लिखित इतिहास में केवल 268 साल शांति वाले रहे हैं यानी इस धरती ने बस आठ प्रतिशत समय शांति के साथ गुज़ारा है.

दलों को मिलने वाले चंदे संबंधी कानून पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

इस साल मार्च में लोकसभा ने दलों को कॉर्पोरेट घरानों से मिलने वाले चंदे में ढील देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी.

इस साल 20 लाख से अधिक लोग शरणार्थी बनने को विवश हुए: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ने कहा, म्यांमार में हिंसा के कारण बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों को मदद की सख़्त ज़रूरत है.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: मोदी अकेले ऐसे वैश्विक नेता हैं जो ट्रोल्स को फॉलो करते हैं

स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?

मीडिया बोल, एपिसोड 17: मीडिया और कॉरपोरेट दबाव

मीडिया बोल की 17वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश मीडिया पर कॉरपोरेट दबाव और क़ानूनी बंदिशों पर कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रहे हैं.

मोदी मुझसे बड़े अभिनेता, मैं अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उन्हें देना चाहता हूं: प्रकाश राज

बाद में अभिनेता ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं कि ख़ुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दूं. यह मुझे मेरे काम की वजह से मिला है और मुझे इस पर गर्व है.’

पर्याप्त रोज़गार पैदा नहीं होने से देश में बढ़ेगी आय असमानता: अध्ययन

वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल के अध्ययन में बताया गया है कि बेरोज़गारी और असमानता के कारण अपराधों में तेज़ी और सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है.

हम गांधी के लायक कब होंगे?

गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.

अपने ही संसदीय क्षेत्र अमेठी का दौरा करने की राहुल को नहीं मिली अनुमति

ज़िला प्रशासन ने कहा, दुर्गा पूजा और मुहर्रम की वजह से अधिकांश पुलिस बल ड्यूटी पर होगा इसलिए शांति कायम करने में असुविधा होगी.

जो विकास की मांग करते हैं, उन्हें उतनी ​कीमत भी चुकानी चाहिए: अरुण जेटली

टैक्स स्लैब कम करने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शासन की जीवन रेखा राजस्व है और यही भारत को विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनाएगा.

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