पहली घटना बांदा ज़िले के अलिहा गांव और दूसरी घटना चिल्ला थाना क्षेत्र के दिघवट की है. एक मज़दूर हरियाणा में ईंट पथाई का काम करते थे, जबकि दूसरे दिल्ली में मज़दूरी करते थे. लॉकडाउन के बाद दोनों अपने अपने घर लौट आए थे.
मामला उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले का है. पांच वर्षीय बच्ची के पिता के टीबी से पीड़ित हैं. परिवार के पास पिछले एक महीने से कोई काम नहीं था और हाल के दिनों में उनके पास भोजन भी खत्म हो गया था.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अकेले जुलाई महीने में ही 50 लाख नौकरियां गई हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियाई विकास बैंक की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं को भी झटका लगा है, जिसके कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज़्यादा प्रभावित होंगे.
वीडियो: कोरोना वायरस, बाढ़ की विभीषिका, बेकारी-बेहाली के दौर में भी मीडिया, खासकर न्यूज़ चैनल अभिनेता सुशांत सिंह प्रकरण में बड़े मसलों से ध्यान हटाने और एक तरह का ‘मीडिया ट्रायल’ चलाते नज़र आ रहे हैं. कुछ चैनल प्रोफेसरों-लेखकों को फंसाने में क्यों जुटे हैं? मीडिया बोल के नए एपिसोड में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा.
रेलवे बोर्ड ने एक आदेश में कहा कि औपनिवेशिक काल से चले आ रहे खलासी पदों की समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया है कि अब इनकी भर्ती नहीं होगी. साथ ही एक जुलाई 2020 से इन पदों पर की गई नियुक्तियों की भी समीक्षा की जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने आगाह किया कि कोरोना और उससे निपटने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण कई समुदाय भुखमरी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने चेताया कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक परिणाम होंगे, जो व्यक्तिगत त्रासदियों को एक पीढ़ीगत तबाही में बदल सकते हैं.
मामला कोकराझार ज़िले का है. लॉकडाउन के दौरान गुजरात लौटे एक मज़दूर ने आर्थिक तंगी और काम न मिलने से परेशान होकर अपनी 15 दिन की बच्ची को 45 हज़ार रुपये में बेच दिया. पुलिस ने मज़दूर और बच्ची खरीदने वाली महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है.
एनजीओ ‘वर्ल्ड विज़न एशिया पैसिफ़िक’ द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन की सबसे अधिक मार दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ी और इसके चलते छिनी आजीविका ग्रामीण और शहरी ग़रीबों के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के इंगुआ गांव का मामला. मृतक के भाई ने बताया कि मुंबई से लौटने के बाद गांव में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, जिस वजह से वह आर्थिक रूप से परेशान थे.
एक कंपनी द्वारा श्रमिकों को वेतन न देने के मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश के तहत उन्हीं कर्मचारियों या कामगारों को लाभ मिलेगा, जो लॉकडाउन लगने वाले दिन तक नौकरी पर थे और उन्हें तनख़्वाह मिल रही थी.
संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची क़ीमतों और ख़र्च वहन करने की क्षमता न हो पाने के कारण करोड़ों लोगों को सेहतमंद और पोषक आहार नहीं मिल पा रहा है. कोविड महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियों और आर्थिक मंदी से भुखमरी का सामना कर रही आबादी की संख्या बढ़ सकती है.
मामला बांदा ज़िले गिरंवा थाना क्षेत्र का है. लॉकडाउन के बाद से बांदा में 20 से 21 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इसमें कई मज़दूर भी शामिल हैं, जो लॉकडाउन में काम बंद होने से दूसरे प्रदेशों से घर लौटे थे.
वीडियो: पिछले कई दिनों से भारत-चीन सीमा पर हो रहे तनाव के कारण देश में कोरोना वायरस से हो रहीं मौतों को मीडिया और सरकार अनदेखा कर रही है. देश में बढ़ रही ग़रीबी और बेरोज़गारी पर न तो सरकार का कोई ध्यान है और न ही मीडिया का. इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया.
मामला हमीरपुर ज़िले के गढ़रौली गांव का है. 22 वर्षीय युवक स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में थे. कई जगह फॉर्म भरने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली थी.