आज अयोध्या सीता जैसी ही अकेली है. वह नहीं समझ पा रही कि इस उदासी का गिला किससे और कैसे करे? बुधवार की जगर-मगर देखने तो सैकड़ों न्यूज़ चैनल दौड़ पड़े थे, अब उसकी उदासी को खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है.
सही मायने में अयोध्या और यहां रहने वाले लोगों की फ़िक्र किसी को नहीं है. 1,71,000 दीयों वाली सरकारी दीपावली मनाकर योगी सरकार सिर्फ़ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है.
नई बात यह है कि इस बार वे ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगाते अयोध्या नहीं लौटे हैं. सरयू तट पर भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाने और भव्य देव दीपावली मनाने आए हैं.
नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.
देश के पूर्व कृषि मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की भूमिका को याद किया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, लगभग 500 साल पहले आक्रमणकारियों ने हमारी संस्कृति के प्रतीक को ध्वस्त करने का प्रयास किया.
प्रासंगिक: यह वास्तव में एक त्रासदी है कि जिन लोगों के पास यह सुनिश्चित करने की क्षमता थी कि भारत सांप्रदायिकता के बवंडर में न फंस जाए, उनमें से कोई भी मेरठ हिंसा के असली रूप को पहचान नहीं पाया.
जो 1977 में पाकिस्तान में ज़िया-उल-हक के नेतृत्व में शुरू हुआ था, वह अब भारत में दोहराया जा रहा है.
बाबरी विध्वंस मामले में गवाह वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बता रहे हैं कि कैसे टालमटोल, सुस्ती और न्याय तंत्र की उदासीनता के चलते यह केस 25 सालों से लटका हुआ है.
जन गण मन की बात की 31वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने और शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर चर्चा कर रहे हैं.
हैदराबाद से भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने कहा कि मंदिर के लिए जान दे भी सकते हैं और जान ले भी सकते हैं. साथ ही आने वाली रामनवमी तक मंदिर बनाने का दावा किया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद लखनऊ में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि राम मंदिर मेरे विश्वास का विषय है और मुझे इस पर गर्व है.
जन की बात की 21वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को दोनों पक्षों के आपस में सुलझा लेने पर की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और हैपीनेस इंडेक्स में भारत की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह की बातचीत.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस मामले पर जल्दी फैसला देने की मांग के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत से बाहर सुलझाने की सलाह दी है.