जो गांधी के विचारों के समर्थक और शांति के पैरोकार हैं, ख़ुद एक दिमाग़ी बुखार में गिरफ़्तार हैं. हिंसा हमारा स्वभाव हो गई है. हम हमला करने का पहला मौका छोड़ना नहीं चाहते. पढ़ने-सुनने के लिए जो समय और धीरज चाहिए, हमने वह जानबूझकर गंवा दिया है.
चुनावी सर्वेक्षण प्रकाशित करने वाले तीन मीडिया संगठनों को चुनाव आयोग द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरें.
ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पिछले साल 2 अप्रैल को ‘भारत बंद’ के दौरान हुए उपद्रव में राकेश टमोटिया और दीपक जाटव की गोली लगने से मौत हो गई थी.
आज की मास्टरक्लास में अपूर्वानंद न्यूज़ीलैंड में मस्जिदों में हुई गोलाबारी और मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बढ़ते हेट क्राइम के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में अलग-अलग घटनाओं में दो चचेरे भाइयों गौरव और सचिन के साथ एक अन्य युवक शाहनवाज कुरैशी की हत्या हो गई थी जिसके बाद पूरे इलाके में हिंसा फैल गई थी. इस दौरान 62 लोगों की मौत हुई थी जबकि 50 हजार से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए थे.
जहां बॉलीवुड के अधिकतर अभिनेता सच से मुंह मोड़ने और चुप्पी ओढ़ने के लिए जाने जाते हैं, वहीं मुखरता नसीरुद्दीन शाह की पहचान रही है. उनका व्यक्तित्व उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की उस भीड़ से अलग करता है, जिसके लिए शक्तिशाली की शरण में जाना, गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी मांगना और कभी भी मन की बात न कहना एक रिवाज़-सा बन चुका है.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि हमारी कोशिशों के बावजूद कुछ युवा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुए और कुछ मारे भी गए. हमें इस पर दुख और अफ़सोस है. हम हिंसा के माहौल में हैं और हिंसा, हिंसा को जन्म देती है.
बुलंदशहर में हुई हिंसा में मौके पर तैनात पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नाम के एक युवक की हत्या कर दी गई थी.
पुलिस ने गिरफ़्तार आरोपी के क़ब्ज़े से हमले में इस्तेमाल कुल्हाड़ी बरामद की. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कथित गोकशी के बाद भड़की हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और सुमित कुमार नाम के युवक की मौत हो गई थी.
पुलिस का कहना है कि 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुई हिंसा के दौरान प्रशांत नट नाम के व्यक्ति ने इंस्पेक्टर सुबोध पर गोली चलाई थी. गिरफ़्तारी के बाद पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार किया है.
देश में निचले सामाजिक स्तर तक भय व अविश्वास का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि प्रतिरोध की सारी आवाजें घुटकर रह गईं और अब ऊपरी स्तर पर कोई आमिर ख़ान अपना डर या नसीरुद्दीन शाह ग़ुस्सा जताने लगता है, तो उनका मुंह नोंचने की सिरफिरी कोशिशें शुरू कर दी जाती हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ये नया फैसला ऐसे समय पर आया है जब विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इंसानों की तुलना में गायों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है.
जहां एक ओर कांग्रेस के लिए यह नक्सल समस्या को सुलझाने का एक नया मौका है, वहीं राहुल गांधी के लिए यह साबित करने का अवसर है कि वे और उनकी पार्टी वास्तव में देश के आदिवासियों की चिंता करते हैं.
दंगों के लगभग 20 मामलों में विधायक और सांसद भी आरोपियों की सूची में हैं. पुलिस ने भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची और अन्य के ख़िलाफ़ इसमें उनकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया था.
अजमेर साहित्य महोत्सव के संयोजक ने बताया कि नसीरुद्दीन शाह को कार्यक्रम का उद्घाटन करना था लेकिन उनके बयान के बाद कुछ स्थानीय लोगों के विरोध के चलते वह नहीं आए.