गुजरात दंगों में षड्यंत्र के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल द्वारा ‘क्लीनचिट’ देने के फैसले को ज़ाकिया ने गुजरात हाईकोर्ट में दी थी चुनौती.
मालेगांव बम धमाके के अन्य मुख्य आरोपियों को उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत जमानत दे चुका है.
व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीफ रखने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा, याचिकाकर्ता को कुछ मामलों में न्याय पाने के लिए दशकों इंतज़ार करना पड़ता है. यह हमारी न्याय व्यवस्था के लिए अच्छा प्रतीत नहीं होता है.
कोर्ट ने कहा, 'ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. कोर्ट के आदेश से पहले मौत के कारणों पर सरकार का जवाब आना ज़रूरी है.'
क़ानून मंत्रालय द्वारा संसद की परामर्श समिति को भेजे एक दस्तावेज में कहा गया है कि ज़्यादातर उच्च न्यायालय चाहते हैं कि अधीनस्थ अदालतों पर उनका प्रशासनिक नियंत्रण बना रहे.
कोर्ट ने चैनल से तत्काल भुगतान की मांग पर आयकर विभाग की खिंचाई करते हुए कहा यह कदम अति उत्साहपूर्ण और अवैध प्रतीत होता है.
गाय और अन्य जानवरों के वध के लिए ख़रीद-फ़रोख़्त पर केंद्र सरकार के आदेश पर तीन अदालतों ने तीन तरह का आदेश दिया है तो राज्य सरकारों ने कड़ा विरोध जताया है.