विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) प्रमुख का कहना है कोविड-19 वायरस दोबारा फैल रहा है. ग़रीब और मध्य आय वाले देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगातार बिगड़ रही हैं. अगर हमें अरबों डॉलर की सहायता नहीं मिली तो 2021 में हमारा सामना व्यापक स्तर पर अकाल से होगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि वह मिड-डे मील योजना के तहत हर महीने प्रत्येक बच्चे को 540 रुपये का भुगतान करती है, लेकिन इस साल मार्च में उसके ख़ुद के हलफ़नामे में कहा गया कि उसने पंजीकृत 8.21 लाख बच्चों को क़रीब सात करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो प्रति बच्चा 100 रुपये से भी कम है.
खाद्य सुरक्षा पर एक नीति जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दुनिया की 7.8 अरब आबादी को भोजन कराने के लिए पर्याप्त से अधिक खाना उपलब्ध है, लेकिन वर्तमान में 82 करोड़ से ज़्यादा लोग भुखमरी का शिकार हैं. हमारी खाद्य व्यवस्था ढह रही है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को तीन सालों में भोजन की गुणवत्ता खराब होने के संबंध में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 35 शिकायतें मिलीं.
गैर-सरकारी संस्था सीएसई ने भारतीय बाज़ारों में उपलब्ध कुछ खाद्य पदार्थों का परीक्षण किया, जिसमें पाया गया कि 32% खाद्य पदार्थ जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम पॉजिटिव हैं, जिन्हें सरकारी मंज़ूरी के बिना नहीं बेचा जा सकता.
भारत ने प्रमुखता से उठाई खाद्य सुरक्षा से जुड़ा सार्वजनिक खाद्य भंडारण का मुद्दा, अमेरिका स्थायी समाधान ढूंढने की प्रतिबद्धता से पीछे हटा, भारत जैसे विकासशील देशों को निराशा.
भारत सरकार अब इस बात से सहमत है कि खाद्य सब्सिडी को कम से कम किया जाना होगा, इस कारण से पूरी संभावना है कि भारत में रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक गैर-बराबरी का दर्द अब और ज़्यादा बढ़ेगा.
जब कुछ ख़ास व्यापारिक प्रतिष्ठानों का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा, तब क़ीमतें सरकार और किसान नहीं, बड़ी कंपनियां तय करेंगी.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.
पिछले कुछ समय में आधार से जुड़ी लाखों लोगों की निजी सूचनाएं लीक होने से आधार के सुरक्षित होने के दावे पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
आधार के समर्थन में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि लाखों ‘छात्रों के भूत’ मिड डे मील का लाभ उठा रहे हैं. ये दावे न तो प्रमाणिक हैं, न गंभीर जांच पर आधारित हैं.
आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा के साथ चर्चा कर रहे हैं द वायर के अमित सिंह.
मिड डे मील योजना को आधार कार्ड से जोड़ना पहले से ही कमज़ोर हमारी स्कूली प्रणाली को और धक्का पहुंचा सकती है. सवाल उठता है कि आख़िर सरकार बायोमेट्रिक सत्यापन के ज़रिये किस समस्या का समाधान करना चाह रही है?
मिड डे मील योजना में बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है.