उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक सुनील भराला का कहना है कि कुंभ की आस्था कोरोना वायरस से बहुत बड़ी है गंगा मां ही इस कोरोना का सर्वनाश करेंगी और पिछले साल निज़ामुद्दीन मरकज़ में जुटी भीड़ की तुलना कुंभ से नहीं की जानी चाहिए.
देश में कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में वहां पिछले साल तबलीगी जमात का एक धार्मिक कार्यक्रम हुआ था और इसे पिछले साल 31 मार्च से बंद रखा गया है. दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड ने नियमों में ढील दिए जाने की मांग करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था.
दक्षिण मुंबई की जुमा मस्जिद ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में ट्रस्ट की एक मस्जिद में पांच वक़्त की नमाज़ अदा करने की इजाज़त मांगी गई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि धार्मिक रीति-रिवाज़ों को मनाना या उनका पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण लोक व्यवस्था और लोगों की सुरक्षा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से निज़ामुद्दीन मरकज़ और कुंभ की तुलना करते हुए पूछा गया था कि कुंभ की भीड़ कोरोना को और बढ़ा सकती है, जिस पर उन्होंने कहा कि यह बारह साल में एक बार आता है और लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा है. बीते 10 अप्रैल से 13 अप्रैल की शाम चार बजे तक कुंभ मेला इलाके में 1,086 लोग कोविड-19 संक्रमित पाए गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली पुलिस के इस दावे को ख़ारिज कर दिया कि रमज़ान के लिए निज़ामुद्दीन मरकज़ में 200 लोगों की पुलिस-सत्यापित सूची में से केवल 20 लोगों को प्रार्थना के लिए परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जा सकती है.
दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ को दोबारा खोलने की मांग करते हुए याचिका दायर की गई है. इससे पहले अदालत ने केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए कहा था. पिछले साल मार्च में निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था.
महाराष्ट्र में एमबीबीएस के द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए ‘एसेंशियल्स ऑफ मेडिकल माइक्रोबायलॉजी’ में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को कथित तौर पर नई दिल्ली में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम से जोड़ा गया था, जिस पर आपत्ति जताई गई थी. लेखकों ने इस संबंध में माफ़ी भी मांगी है.
वीडियो: पिछले साल दक्षिण दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना वायरस के प्रसार का एक केंद्र बनकर उभरा था. यहां तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में देश-विदेश से तमाम लोग शामिल हुए थे, जिनके ख़िलाफ़ संक्रमण फैलाने को लेकर केस दर्ज किया गया था. आरोपियों में शामिल कई विदेशी नागरिक आज भी अपने घर लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पिछले साल मार्च में दिल्ली का निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था. तबलीग़ी जमात के एक कार्यक्रम में शिरकत करने वाले कई लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद 31 मार्च, 2020 से ही यह बंद है.
दिल्ली की एक अदालत ने देश में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र जारी सरकारी दिशानिर्देशों का कथित तौर पर पालन नहीं करते हुए तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आरोपों का सामना कर रहे 36 विदेशी नागरिकों को पिछले साल दिसंबर में बरी कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनज़र कृषि क़ानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रदर्शनकारियों को कोविड-19 से बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं.
दिल्ली पुलिस ने तबलीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ वीज़ा शर्तों के उल्लंघन, धार्मिक प्रचार गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोपों को लेकर चार्जशीट दायर की थी. हालांकि कोर्ट ने ठोस सबूत नहीं मिलने पर सभी को बरी कर दिया.
पुलिस ने पुनरीक्षण याचिकाएं दायर कर अनुरोध किया था कि जिन अपराधों में 36 विदेशी नागरिकों को आरोपमुक्त किया गया था, उनमें आरोप तय किए जाएं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने तबलीग़ी जमात के नौ विदेशी सदस्यों के भारत की यात्रा करने पर 10 साल के प्रतिबंध के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को अमान्य कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कोरोना महामारी की शुरुआत के समय तबलीग़ी जमात के आयोजन को लेकर मीडिया का एक वर्ग मुस्लिमों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक वैमनस्य फैला रहा था. मीडिया का बचाव करते हुए केंद्र की ओर से कहा गया है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलना चाहते हैं.
दिल्ली पुलिस ने वीज़ा शर्तों के कथित उल्लंघन, धार्मिक प्रचार गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोपों में क़रीब 955 विदेशियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की थी, जिनमें से 44 ने दिल्ली में केस लड़ा. साकेत अदालत ने इनमें से आठ को बरी किया और बाकी 36 पर से कई आरोप हटा दिए हैं.