राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एल्गार परिषद मामले में पूछताछ के लिए हैदराबाद की ईएफएलयू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के सत्यनारायण और द हिंदू के पत्रकार केवी कुरमानाथ को तलब किया है. ये दोनों कवि और सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव के दामाद हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के एक प्रोफेसर को नोटिस भेजकर उनके कथित तौर पर एल्गार परिषद से जुड़े होने को लेकर 10 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है. प्रोफेसर का कहना है कि एनआईए का नोटिस प्रताड़ित करने वाला है.
कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में पढ़ाने वाले प्रोफेसर पार्थसारथी रे जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वे उन नौ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से हैं, जिन्हें बीते साल कथित तौर पर निगरानी रखने के लिए एक 'स्पाईवेयर हमले' का निशाना बनाया गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ कर ज़मानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की वजह से जेल में उनके कोरोना संक्रमित होने का जोख़िम है, क्योंकि जेल में कोरोना संक्रमण का मामला सामने आ चुका है.
जिन लोगों को समन जारी किया गया है उनमें निहाल सिंह राठौड़, विप्लव तेलतुम्बड़े और एक अन्य वकील शामिल हैं. राठौड़ इस मामले में कई आरोपियों के केस लड़ रहे हैं, वहीं विप्लव तेलतुम्बड़े जाने-माने दलित अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के संबंधी हैं.
एनआईए ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रेम कुमार विजयन और राकेश रंजन को पूछताछ के लिए बुलाया है. इससे पहले 28 जुलाई को एजेंसी ने इस मामले में डीयू के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ़्तार किया था.
सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी से भीमा-कोरेगांव मामले में पहले भी पूछताछ की जा चुकी है. दिसंबर 2019 में मामले की जांच के संबंध में रांची स्थित उनके घर पर छापा मारकर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम ज़ब्त किया गया था.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को अदालत ने चार अगस्त को सात दिनों की हिरासत में भेजा था. एनआईए ने उनकी हिरासत बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अदालत से कहा कि उनके ईमेल और सोशल मीडिया की पड़ताल करने की ज़रूरत है.
इस मामले में एनआईए ने 28 जुलाई को रोवेना के पति और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ़्तार किया है. सितंबर 2019 में उनके नोएडा स्थित घर पर पुणे पुलिस द्वारा छापेमारी की गई थी.
28 जुलाई को गिरफ़्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के 54 वर्षीय प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को एनआईए में मुंबई की विशेष अदालत में पेश करते हुए दस दिन की हिरासत की मांग की थी.
भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू की गिरफ़्तारी के बाद लेखक अरुंधति रॉय ने केंद्र सरकार की आलोचना की हैं, वहीं जेएनयू छात्रसंघ ने कहा कि इस मामले में हुई घटिया जांच का एकमात्र निशाना वे कार्यकर्ता और स्कॉलर हैं जिन्होंने सत्तारूढ़ दल की नीतियों और सांप्रदायिकता पर सवाल उठाए हैं.
एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार होने वाले बारहवें शख़्स हैं. इससे पहले इस मामले के संबंध में पुणे पुलिस ने सितंबर 2019 में उनके नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की थी.
वीडियो: डॉ. कफ़ील ख़ान बीते दिसंबर में एएमयू में हुए एंटी-सीएए प्रदर्शन में कथित भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था. फरवरी में उन्हें ज़मानत मिली लेकिन जेल से बाहर आने के कुछ घंटे बाद उन पर एनएसए लगा दिया गया. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम़ शेरवानी का नज़रिया.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार गौतम नवलखा ने यह कहते हुए ज़मानत याचिका दायर की थी कि वे 90 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं लेकिन उनके ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है. हालांकि अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया.
एनआईए ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को एल्गार परिषद मामले में मुंबई आकर गवाही देने के लिए कहा है. प्रोफेसर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान वे अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और यात्रा नहीं करना चाहते हैं.