सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे पर जांच की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर बहस पूरी हुई. शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा. केंद्र सरकार का शीर्ष अदालत में राफेल विमानों के दाम की जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में दासो एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने रिलायंस के साथ हुए क़रार को लेकर लगे आरोपों पर कहा कि मैंने जो पहले कहा वही सच है. मैं झूठ नहीं बोलता हूं. एक सीईओ होकर आप झूठ नहीं बोल सकते.
प्रशांत भूषण ने कहा कि राफेल करार में 20,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है और राष्ट्रीय सुरक्षा से भी समझौता किया गया है. इससे पहले उन्होंने दावा किया था कि राफेल सौदा इतना बड़ा घोटाला है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
राफेल सौदे में भागीदारी के बाद फ्रांस की दासो कंपनी ने अनिल अंबानी समूह की एक निष्क्रिय पड़ी कंपनी में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदकर इसे क़रीब 284 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा पहुंचाया.
शीर्ष न्यायालय ने सरकार से कहा कि जो भी जानकारी क़ानूनी रूप से सार्वजनिक की जा सकती है उसे याचिकाकर्ताओं को दिया जाए. यदि कोई सूचना गोपनीय है तो उसे सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपें. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अगर केंद्र राफेल की क़ीमत नहीं बता सकता है तो हलफ़नामा दायर करे.
क्या सैनिकों के ऐसे क़दम को सर्वोच्च अदालत के फैसले की जानबूझकर अवज्ञा माना जाए या आर्मी एक्ट के बुनियादी उसूलों का उल्लंघन? ये याचिकाएं भले राजनीतिक रूप से प्रेरित न हों, लेकिन ग़लत मशविरे का परिणाम लगती हैं. साथ ही यह उस ‘अनुशासन’ के ख़िलाफ़ हैं, जिसका प्रतिनिधित्व भारतीय सेना करती है.
केंद्र ने राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध किया और यह कहते हुए उन्हें ख़ारिज करने का अनुरोध किया कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये दाखिल की गई हैं.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह सौदे की विस्तृत जानकारी और यूपीए व एनडीए सरकारों के दौरान विमान की कीमतों का तुलनात्मक विश्लेषण सील बंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे.
जन गण मन की बात की 313वीं कड़ी में विनोद दुआ यौन शोषण के ख़िलाफ़ महिलाओं द्वारा शुरू किए गए 'मीटू' अभियान और राफेल सौदे की सीबीआई जांच पर चर्चा कर रहे हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया पर यह बकाया वीवीआईपी चार्टर उड़ानों का है, जिसमें सर्वाधिक 543.18 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय का है.
अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी बड़े पूंजीपतियों से अपने करीबी रिश्तों को लेकर हो रही आलोचना को नहीं टाल सकते.
सितंबर 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री के बीच राफेल क़रार पर दस्तख़त हुए थे, उसके ठीक पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राफेल लड़ाकू विमानों की कीमतों को लेकर सवाल उठाए थे और इसे फाइल में दर्ज किया था.
राफेल विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, 'यह सरकार का सरकार के साथ हुआ क़रार था. उस वक़्त मैं पद पर नहीं था. मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि हमारे नियम स्पष्ट थे.’
जन गण मन की बात की 309वीं कड़ी में विनोद दुआ राफेल सौदे को लेकर उठ रहे सवालों पर नरेंद्र मोदी की चुप्पी और सिक्किम एयरपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री के दावे पर चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया बोल की 68वीं कड़ी में उर्मिलेश राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार पर उठ रहे सवाल और इसकी मीडिया कवरेज पर पूर्व पत्रकार आशुतोष और डिफेंस कॉरेस्पॉन्डेंट रंजीत कुमार से चर्चा कर रहे हैं.