उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. यूपी सरकार ने कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में दावा किया है कि सिद्दीक़ कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं.
पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ़्तारी पर केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अदालत के सामने मौलिक अधिकारों के हनन के लिए दायर होने वाली अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है और वे इन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं.
गुजराती समाचार पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक धवल पटेल के ख़िलाफ़ राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई को राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
पंजाब के एक व्यक्ति ने फेसबुक लाइव के दौरान लॉकडाउन को लेकर सरकार के कामकाज की कथित तौर पर आलोचना की थी, जिसके बाद उन पर बीते अप्रैल महीने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. फ़िलहाल अदालत ने उनकी ज़मानत मंज़ूर कर ली है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार और तीन अन्य युवकों को गिरफ्तार किया था. चारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह और आतंकवाद रोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के तीन सदस्यों को गिरफ़्तार किया था. इन पर राजद्रोह और यूएपीए के तहत पहले ही मामला दर्ज किया गया है.
भारत में अक्सर न्यायिक आज़ादी के रास्ते में कार्यपालिका और कभी-कभी विधायिका द्वारा बाधा डालने की संभावनाएं देखी जाती हैं, लेकिन जब न्यायपालिका के भीतर के लोग ही अन्य शाखाओं के सामने झुक जाते हैं, तो स्थिति बिल्कुल अलग हो जाती है.
हाथरस गैंगरेप को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने के लिए पीएफआई द्वारा फंडिंग किए जाने के दावे किए गए थे. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने कहा है कि संगठन द्वारा 100 करोड़ रुपये की फंडिंग किए जाने की बात सच नहीं है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार, दो सीएफआई सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ़्तार किया था. स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
उत्तर प्रदेश में मेरठ ज़िले के एक गांव में खेत से गोवंश के अवशेष बरामद होने के बाद पुलिस ने पत्रकारिता के छात्र ज़ाकिर अली त्यागी को गिरफ़्तार किया था. ज़ाकिर का कहना है कि उन्हें फ़र्ज़ी तरीके से फ़ंसाया गया है. इस संबंध में मानवाधिकार आयोग ने मेरठ पुलिस का नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
सांसद संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के जातिवादी होने को लेकर एक फोन सर्वे कराया था. सर्वेक्षण में कहा गया था कि योगी आदित्यनाथ सरकार एक विशेष जाति के लिए काम कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि बोलने की आज़ादी को कुचलने के लिए सरकार फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप का तरीका भी अपना रही है. कोरोना के मामलों और इससे संबंधित अव्यवस्थाओं की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर फेक न्यूज़ देने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
पत्रकार ने एक फेसबुक पोस्ट में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाए थे. इसके बाद राजद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था.
1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ़्तारी के विरोध में दल खालसा के पांच सदस्यों द्वारा दिल्ली से श्रीनगर जाने वाले इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को 117 यात्रियों समेत हाईजैक किया गया था. अब अकाल तख़्त दल खालसा के 11 लोगों को विभिन्न सम्मानों से नवाज़ रहा है, जिनमें हाईजैक में शामिल एक शख़्स भी है.
हिमाचल प्रदेश के एक भाजपा नेता की शिकायत पर विनोद दुआ पर फ़र्ज़ी ख़बरे फैलाने और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में राजद्रोह समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है. दुआ ने अदालत में कहा कि अगर वे प्रधानमंत्री की आलोचना करते हैं, तो यह सरकार की आलोचना के दायरे में नहीं आता.