राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार के तहत लाने से संबंधित एक आवेदन को ख़ारिज करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने मामले के भारत के उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने को आधार बताया था.
सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों उठाने में कथित तौर पर लापरवाही को लेकर नाराज़गी जताते हुए कहा कि कि वह 14 महीनों से कर क्या रही थी? दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है.
सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नेताओं को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों और पार्टी नेताओं, उम्मीदवारों के मास्क आदि न लगाने जैसे कोविड-19 प्रोटोकॉल की अवज्ञा के बारे में कहा है. आयोग ने कहा है कि ऐसा करके वे ख़ुद को और सभाओं में शामिल हो रहे लोगों को भी ख़तरे में डाल रहे हैं.’
चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिकट रिफॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2016 से 2020 के दौरान हुए चुनावों में कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हुए जबकि भाजपा के सिर्फ़ 18 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का दामन थामा.
एडीआर ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के 230 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी भाजपा, राकांपा, भाकपा, जदयू, राजद, रालोद समेत कई दलों द्वारा अब तक उनके चुनावी ख़र्च की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों की व्यय सीमा में संशोधन के लिए अक्टूबर में गठित एक समिति को मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और ख़र्च मुद्रास्फीति सूचकांक बढ़ने के मद्देनज़र लोकसभा और विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए ख़र्च की सीमा में संशोधन के विषय पर गौर करने का ज़िम्मा सौंपा है.
गुजरात विधानसभा की आठ सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होना है, जिसके नतीजे दस नवंबर को घोषित किए जाएंगे. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 80 उम्मीदवारों में से 20 करोड़पति हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तीन चरणों में- 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होने वाले हैं. मतगणना 10 नवंबर को होगी.
गुजरात सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2020 को जारी उस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसके तहत मज़दूरों के कई अधिकारों को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि महामारी का हवाला देकर मज़दूरों के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए बने क़ानूनों को ख़त्म नहीं किया जा सकता.
मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए श्रम क़ानूनों में जहां एक ओर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ऐसे विभिन्न कामगारों को लाया गया है, जो अब तक इसमें नहीं थे, वहीं दूसरी ओर हड़ताल के नियम कड़े किए गए हैं. साथ ही नियोक्ता को बिना सरकारी मंज़ूरी के कामगारों को नौकरी देने और छंटनी के लिए अधिक छूट दी गई है.
असम की कृषक मुक्ति संग्राम समिति की ओर से कहा गया है कि यह एक क्षेत्रीय पार्टी होगी. सभी जनजाति, जाति, समुदाय, धर्म और भाषा के लोग इसका हिस्सा होंगे. प्रस्तावित पार्टी के नाम की घोषणा जेल से रिहा होने पर समिति के नेता अखिल गोगोई ख़ुद करेंगे.
देश के 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने आईएलओ को पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि वे विभिन्न राज्यों में श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों को लेकर हस्तक्षेप करें और श्रमिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.
समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि भारत में श्रम कानूनों में हो रहे बदलाव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि सरकार, श्रमिक और नियोक्ता संगठनों से जुड़े लोगों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के बाद ही श्रम कानूनों में किसी भी तरह का संशोधन किया जाना चाहिए.