गोरक्षा के नाम पर हत्याओं में संघ परिवार के लोग शामिल हैं: विपक्ष

गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर कर हो रही हत्याओं के मुद्दे पर संसद में घिरी सरकार, विपक्ष ने किया ज़बरदस्त हमला, सरकार बोली- सहिष्णुता इस देश का डीएनए है.

‘राष्ट्रवाद पर गोलवरकर के विचारों को सही तरीके से समझा नहीं गया’

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसफिकल रिसर्च का मानना है कि गोलवरकर के विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की ज़रूरत है.

आपातकाल के 42 सालों के बाद एक बार फिर भारत का लोकतंत्र ख़तरे में है

‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’

इंदिरा ने गोवध पर रोक के लिए समिति बनाई थी, गोलवरकर की सदस्यता वाली समिति ने नहीं दी रिपोर्ट

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की नई किताब ‘इंदिरा गांधी: अ लाइफ इन नेचर’ का नई दिल्ली में विमोचन हुआ.

आरएसएस से जुड़े किसान संगठन ने कहा, केंद्र की नीतियों की वजह से किसान संकट में

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय ​सचिव ने सवाल उठाया कि किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर ख़रीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए.

संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा, जो लोग गोमांस खाते हैं उनका कोई मानवाधिकार नहीं होता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने जयपुर में आयोजित संघ के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में गाय, गोमांस और अन्य मुद्दों पर बयान दिए.

भीम आर्मी रावण को नहीं, आंबेडकर को आंदोलन का हिस्सा बनाए

भले ही भीम आर्मी की कोई हिंसक गतिविधि न हो, पर प्रतिक्रियावादी हिंदुओं में यह हिंसक प्रतिक्रांति को और भी ज़्यादा हवा देगी. इससे समानता स्थापित होने वाली नहीं है.

संघ, योगी आदित्यनाथ और हिंदू राष्ट्र का सपना

यूपी के चुनावों की जीत ने हिंदुत्व की ताकतों को यह आत्मविश्वास दिया है कि वह अपने बुनियादी सांस्कृतिक एजेंडे को लेकर अब अस्पष्टता न रखें बल्कि खुलकर सामने आएं.

जम्मू-कश्मीर: भाजपा-पीडीपी सरकार आने के बाद संघ की शाखाओं में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी

संघ प्रांत कार्यवाह पुरुषोत्तम दधीचि ने बताया कि राज्य में संघ का तेजी से विस्तार हो रहा है. हमारी राष्ट्रवादी विचारधारा यहां की जनता को आकर्षित कर रही है.

कभी जिससे अंग्रेज़ डरा करते थे, कांग्रेस का वह सेवादल अपनी आख़िरी सांसें गिन रहा है

ऐसे समय में जब कांग्रेस रास्ता खोज रही है, उसे अपने संगठन की ओर देखना चाहिए और उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए, जिसे 1969 के बाद लगातार ख़त्म किया जाता रहा है.

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