तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने पंजाब में प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को बातचीत के लिए 14 अक्टूबर को दिल्ली बुलाया है.
बृहस्पतिवार को सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की फ़ीस माफ़ी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की गई है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि या तो सीबीएसई को फ़ीस माफ़ करने का निर्देश दिया जाए या फिर केंद्र को पीएम केयर्स फंड से इस राशि का भुगतान करना चाहिए.
वीडियो: बीते 20 सितंबर को विवादित कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को ख़ारिज करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा था कि सदस्यों ने सदन के नियमों के अनुसार अपनी सीट पर बैठकर ये मांग नहीं की थी. हालांकि राज्यसभा टीवी के आधिकारिक फुटेज से पता चलता है कि दो सांसदों ने अपनी सीट से ही वोटिंग की मांग की थी.
सीमा शुल्क अधिनियम से जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार का कहना था कि किसी अधिसूचना को ई-गजट पर अपलोड होने के समय से ही प्रभावी माना जाना चाहिए, जिस पर शीर्ष अदालत ने असहमति ज़ाहिर की है.
केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि नए कृषि क़ानूनों के ज़रिये एपीएमसी मंडियों के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और ख़रीदने की व्यवस्था तैयार की जाएगी. हालांकि किसानों एवं विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि यदि ये क़ानून लागू किया जाता है तो एपीएमसी और एमएसपी व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी.
बीते 20 सितंबर को कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को ख़ारिज करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा था कि सदस्यों ने अपनी सीट पर बैठकर ये मांग नहीं की थी. हालांकि राज्यसभा टीवी के फुटेज से पता चलता है कि कई सांसदों ने अपनी सीट से ही वोटिंग की मांग की थी.
इस साल दिल्ली के विभिन्न स्कूलों में सीबीएसई ने अगले साल के लिए परीक्षा रजिस्ट्रेशन शुल्क इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जो दलित छात्रों के लिए औसतन 2,000 रुपये से अधिक है. पिछले साल दिल्ली सरकार ने यह शुल्क माफ कर दिया था, लेकिन इस साल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं.
बीते 20 सितंबर को दो कृषि विधेयकों पर विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को ख़ारिज करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा था कि सदस्यों ने अपनी सीट पर बैठकर ये मांग नहीं की थी. हालांकि राज्यसभा टीवी के फुटेज से पता चलता है कि कई सांसदों ने अपनी सीट से ही वोटिंग की मांग की थी.
संसद में बीते कुछ वर्षों से सरकार बिना उचित विचार-विमर्श के आनन-फानन में विधेयकों को पारित करने पर आमादा दिखती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महज़ 25 फीसदी विधेयकों को संसदीय समिति के पास भेजा गया, जो 15वीं लोकसभा के समय भेजे गए विधेयकों की तुलना में काफ़ी कम है.
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत संसद भवन की त्रिकोणीय इमारत, एक साझा केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के पुनर्विकास की परिकल्पना की गई है. हालांकि इस योजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है.
मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आठ सांसदों का निलंबन वापस होने और कृषि विधेयक में उनकी तीन मांगें शामिल होने तक विपक्ष राज्यसभा का बहिष्कार करेगा. वहीं, निलंबित सासंदों के धरने के जवाब में राज्यसभा उपसभापति ने 24 घंटे उपवास की घोषणा की है.
विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश कर दिया गया है. विधेयक के लक्ष्य और कारणों में कहा गया है कि साल 2010 और 2019 के बीच विदेशी योगदान की वार्षिक आमद लगभग दोगुनी हो गई है, लेकिन इसके कई प्राप्तकर्ताओं ने इस धन को उस उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया है जिसके लिए उन्हें पंजीकृत किया गया था.
रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक ध्वनि मत से पास होने के पहले कई विपक्षी नेता इसके विरोध में हंगामा करते हुए वेल में पहुंच गए थे. राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आठ सांसदों को सदन की कार्यवाही से निलंबित करते हुए उपसभापति हरिवंश के ख़िलाफ़ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मृत स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा या नौकरी के लिए कोविड-19 के संदर्भ में कोई विशेष योजना प्रस्तावित नहीं की गई है.
बीते 14 सितंबर को शुरू हुई संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कुल 10 सांसदों ने प्रवासी श्रमिकों की मौत से जुड़े सवाल पूछे थे, लेकिन सरकार ने ये जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया. श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि ऐसा कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता है.