कोविड-19 का टीका लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) का अध्ययन करने वाली राष्ट्रीय समिति ने माना है कि 68 साल के एक व्यक्ति को बीते मार्च में को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी (एनाफिलैक्सिस) होने से उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि समिति ने कहा कि कोविड-19 से मौत के ज्ञात जोख़िम की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु का जोख़िम नगण्य है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि 82 फ़ीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस टीके की सिर्फ़ एक डोज़ लगी है, जबकि 56 फ़ीसदी को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है. इसी तरह 85 फ़ीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके की एक, जबकि 47 फ़ीसदी को दोनों डोज़ लगी है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बताया कि कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अब तक देशभर के 269 चिकित्सक अपनी जान गंवा चुके हैं. संक्रमण के चलते बिहार में सर्वाधिक 78 डॉक्टरों की मौत हुई है. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 37 और दिल्ली में 28 डॉक्टरों की मौत हुई है.
16 जनवरी को टीकाकरण शुरू होने के बाद से अब तक विभिन्न राज्यों में 13 लोगों की जान गई है, इनमें से अधिकतर मौतें टीका लेने के बाद कुछ घंटों से लेकर पांच दिनों के भीतर हुई हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से किसी भी मौत के लिए टीकाकरण के कारण होने को ख़ारिज किया है.
मामला नौपाड़ा ज़िले का है. सोमवार को एक 27 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड को जी मिचलाने की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अगले दिन उन्होंने दम तोड़ दिया. उन्होंने बीमार होने के तीन दिन पहले कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत टीका लगवाया था.
तेलंगाना में अभी तक 69,625 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है. सार्वजनिक स्वास्थ्य के निदेशक के अनुसार, अभी तक राज्य के 77 लोगों में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले सामने आए हैं, जिसमें से तीन को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था और उनकी हालत स्थिर है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मृत स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा या नौकरी के लिए कोविड-19 के संदर्भ में कोई विशेष योजना प्रस्तावित नहीं की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा संसद में दिए गए बयान में काम के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टरों का ज़िक्र न होने से नाख़ुश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ऐसे 382 चिकित्सकों की सूची जारी करते हुए उन्हें शहीद घोषित करने की मांग की है.
नगालैंड इन-सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष ने कहा कि हम पुलिस विभाग या सरकार के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन डॉक्टरों पर हमले से हमारी चिंता बढ़ गई है. एक दिन की हड़ताल के बाद बृहस्पतिवार को राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं फिर से बहाल हो गई हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दें. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि डॉक्टरों और उनके परिवार के लिए पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित की जाए और सरकार की तरफ से उन्हें चिकित्सीय एवं जीवन बीमा दिया जाए.
कोविड-19 मरीज़ों के इलाज में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन, उचित आवास, और क्वारंटीन सुविधा मुहैया कराने की मांग की याचिका की सुनवाई में केंद्र ने कहा कि कुछ राज्य वेतन संबंधी निर्देश लागू नहीं कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप इतने बेबस भी नहीं हैं कि अपने आदेशों को लागू न करा पाएं.
मामला सहारनपुर ज़िला अस्पताल का है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक महिला सोमवार सुबह इमरजेंसी वार्ड के बाहर पति के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों से मदद मांगती रही लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस शख़्स की मौत हो जाने के बाद भी उनका शव काफ़ी समय तक बारिश में वहीं पड़ा रहा. सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला
पुणे के जहांगीर हॉस्पिटल की क़रीब 200 नर्सों के विरोध के बाद अस्पताल प्रशासन ने न सिर्फ वेतन बढ़ोतरी की मांग को ख़ारिज कर दिया, बल्कि उनकी जगह नए स्टाफ की नियुक्ति की धमकी भी दी है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को एहतियात बरतने के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि वरिष्ठ और युवा डॉक्टर समान रूप से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन वरिष्ठों की मृत्यु दर अधिक है.
दिल्ली के हकीम अब्दुल हमीद सेंटेनरी अस्पताल ने बिना कारण बताए अस्पताल की 84 नर्सों को नौकरी से हटा दिया है, इनमें एक कोरोना संक्रमित नर्स भी शामिल हैं. इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन ने अस्पताल को पत्र लिखकर इस फ़ैसले को वापस न लेने पर क़ानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.