मामला तिरुवनंतपुरम के पुन्थुरा इलाके का है. इलाके में कोविड-19 के मामले बढ़ने के बाद प्रशासन ने उसको कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस परीक्षण के लिए नमूना लेने के बाद बिना रिपोर्ट आए लोगों को क्वारंटीन सेंटर ले जा रहे थे.
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच असम सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर कहा है कि पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था किए बिना बेड बढ़ाना एक निरर्थक कवायद होगी. अगर उचित योजना नहीं बनाई गई, तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.
एक जनहित याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि गर्भवती महिला के इलाज के साथ ही जांच हो सकती है. यदि जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है तो महिला को उपचार के लिए विशेष कोविड-19 अस्पताल में स्थानांतरित किया जाएगा.
दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए अधिकृत जीटीबी अस्पताल में इस समय 300 से अधिक कोरोना संक्रमित भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के शिक्षक संघ का कहना है कि बीते चार सालों से ऐसी ही स्थिति है, बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.
इससे पहले कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाख़िल एक अन्य याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि संक्रमण से बचाव की अंतिम ज़िम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.
दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित कंटेनमेंट जोन में रहने वाली 32 वर्षीय महिला का आरोप है कि जांच में कोराना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की ज़रूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों में एम्बुलेंस चालक, लैब टेक्नीशियन, नर्सें, डेंटिस्ट, आयुष और एलोपैथिक डॉक्टर शामिल हैं. उनकी मांग है कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करते हुए राज्य स्वास्थ्यकर्मियों के समान पद के लिए समान वेतन और सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया दी जाएं.
कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में लगे डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उचित व्यवस्था और वेतन नहीं मुहैया कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने कोविड-19 संबंधी ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के क्वारंटीन नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि उन्हें तब तक क्वारंटीन में भेजने की ज़रूरत नहीं है, जब तक उन्हें या तो बहुत अधिक ख़तरा न हो या वायरस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हों. दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा इसका विरोध किया गया है.
दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 अस्पतालों में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों को परिजनों में कोरोना संक्रमण फैलने के डर से होटल और धर्मशालाओं में क्वारंटीन के लिए रखा गया था. पिछले हफ़्ते आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों को फौरन होटल खाली करने का आदेश मिला था और ऐसा न करने पर वेतन कटौती की बात कही गई थी.